संदीप कुमार मिश्र : मित्रों ऐसे तो सावन सदा ही भक्तों के लिए मंगलकारी रहा है,लेकिन साल 2016 का सावन विशेष संयोग लेकर आया है।हमारे देश में अत्यधिक वर्षा होगी,जिससे किसानो को लाभ मिलेगा तो दूसरी तरफ धार्मिक नजरिये से इस बार सावन के चारों सोमवार पर शिव की विसेष कृपा भक्तों पर बरसेगी। ज्योतिषविद् पंडित शिव कुमार शुक्ल जी का कहना है कि इस बार के चारों सोमवार शुभ संयोग बना रहे हैं।
दरअसल साल 2016 में सावन का आगमन प्रतिपदा तिथि और उत्तर आषाढ़ नक्षत्र में यानि 20 जुलाई को हुआ है। पंडित जी का कहना है कि 50 वर्ष बाद इस बार सावन में ऐसा संयोग बना है कि, रोजगार, आय, ज्ञान और कृषि क्षेत्र में वृद्धि होगी।वहीं रोग,शोक का नाश भी ग्रहों को परिवर्तन से होगा।
साल 2016 में पड़ने वाले सावन के सोमवार विशेष क्यों ?
प्रथम सोमवार-: 25 जुलाई को जैसा कि हम सब जानते हैं कि प्रथम सोमवार है जो कि धृति योग में है ।और इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी कुछ समय तक रहेगा।कहा जाता है कि इस योग नक्षत्र में भगवान शिव की पूजा करने से बाधाओं से मुक्ति मिलती है और मनोवांछित फल प्राप्त होता है।
द्वितिय सोमवार-: सावन का द्वितिय सोमवार 1 अगस्त को है और ये वज योग में पड़ रहा है। इस दिन भी विशेष रुप से सर्वार्थ सिद्धि योग है। इस दोनों योगों के कारण श्रावण मास का द्वितिय सोमवार विशेष फलदायक बन जाता है। धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि ऐसे संयोग में महादेव की स्तुति करने से साधक को शक्ति मिलती है और जीवन में सुख, स्वास्थ्य, संपन्नता आती है।
तृतिय सोमवार-: श्रावण मास का तृतिय सोमवार 8 अगस्त को साद्य योग में पड़ रहा है।वास्तव में इस योग को साधना और भक्ति के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। जो भी साधक इस दिन आदिदेव महादेव की पूजा सच्चे मन से करता है कि उसके कठिन से कठिन कार्य भी पूर्ण हो जाते हैं।
चतुर्थ सोमवार-:इस वर्ष श्रावण मास का चतुर्थ सोमवार 15 अगस्त को है,जिस दिन आयुष्मान योग होगा ।और इस बार चतुर्थ सोमवार प्रदोष व्रत को साथ लेकर आ रहा है। हम सब जानते हैं कि प्रदोष व्रत भी भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन शिव की अराधना करने वाले भक्तों,जातकों की आयु में वृद्धि होती है,आर्थिक परेशानियों दूर होती है और जीवन में आने वाले संकट से भगवान शिव हमारी रक्षा करते हैं।
वहीं आपको बता दें कि 31 जुलाई, 1 अगस्त और 2 अगस्त का दिन भी विशेष मंगलकारी है। 31 जुलाई को रवि प्रदोष व्रत और त्रयोदशी दोनो है,सात ही 1 अगस्त को सोमवार और शिव रात्रि पूजा के साथ ही 2 अगस्त को भौमवती आमावस्या होने से शिव की पूजा का महत्व विशेष रुप से बढ़ जाता है।
शिव साधना से मनोवांछित फल की होती है प्राप्ति
सर्वविदित है कि माता पार्वती ने पति रूप में भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए सबसे पहले श्रावण सोमवार का विशेष व्रत किया था।तभी से सोमवार के व्रत का शिव की साधना,आराधना और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिये हिन्यू धर्म शास्त्रों में विशेष महत्व बताए गए हैं।कहते हैं जो भी सौभाग्यवती स्त्री अपने पति की लंबी आयु, अपने बच्चों की रक्षा के साथ ही अपने भाई की सुख-समृद्धि के लिए इस व्रत को करती हैं उनपर महादेव की विशेष कृपा होती है।वहीं इस व्रत को पुरूष साधक संतान, धन-धान्य प्राप्त करने के लिए करते हैं।
।। भगवान शिव,महादेव आप सब का कल्याण करें...हर हर महादेव ।।
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