संदीप कुमार मिश्र : हरतालिका तीज सुहागिन महिलाओं का त्योहार है।जिसे उत्तर भारत खासकर यूपी और बिहार में सुहागिन महिलाएं बड़े ही श्रद्धा भाव के साथ मनाती है।
हरतालिका तीज को सुहागिनों के महापर्व के रूप में भाद्रपद, शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन मनाया जाता है। हस्त नक्षण में होने वाला यह व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु तथा अविवाहित युवतियां मनवांछित वर पाने के लिए करती हैं।
हरतालिका तीज के दिन सुहागिने भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती है। ऐसा कहा जाता है कि माता पार्वती और शिव अपनी पूजा करने वाली सभी सुहागिनों को अटल सुहाग का वरदान देते हैं।
हमारे धर्म पुराणों में ऐसा उल्लेख मिलता है कि शक्ति स्वरुपा देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया और वरदान के रुप में शिव जी को ही मांग लिया। उनके तप और आराधना से खुश होकर भगवान शिव ने पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था।तभी से इस त्योहार का चलन शुरु हुआ।मान्यता ऐसी भी है कि इस दिन को 'हरतालिका' इसीलिए कहा जाता हैं क्योंकि माता पार्वती जी की सहेली उनका हरण कर घनघोर जंगल में ले गई थी। 'हरत' अर्थात हरण करना और 'आलिका' अर्थात सहेली।लोक मान्यताएं हैं जिनका अनुसरण समाज निरंतर करता रहा है।उद्धेश्य तो सिर्फ संबंधों में मधुरता और प्रगाढ़ता को बनाए रखना है।
व्रत विधि व पूजा समय
हरितिका तीज का व्रत इस वर्ष की तीज 24 अगस्त गुरुवार को सूर्योदय के पूर्व से प्रारंभ हो कर रात 9:16 तक रहेगी। हरितालिका तीज के पूजन का उपयुक्त समय शाम 6:30 से रात 8:18 तक का रहेगा। इस व्रत में निर्जला रह कर बेल पत्र, शमी पत्र, धतूरे का फल, केले का पत्ता, सुहाग का सामान और षोड्शोपचार पूजन सामग्री से श्री शिव-पार्वती की पूजा करनी चाहिए।
हरितालिका तीज व्रत करने से भगवान शिव करते हैं सौभाग्य की रक्षा
हरितालिका तीज...संकल्प शक्ति का प्रतीक और अखंड सौभाग्य की कामना का पावन व्रत है।जो कि हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को देश भर में मनाया जाता है। इस व्रत में सौभाग्यवती स्त्रियां नए लाल वस्त्र पहनकर, मेंहदी लगाकर, सोलह श्रंगार करती हैं और शुभ मुहूर्त में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करती हैं। इस पूजा में शिव-पार्वती की मूर्तियों का विधिवत पूजन किया जाता है और फिर हरितालिका तीज की कथा सुनी जाती है। माता पार्वती पर सुहाग का संपूर्ण सामान अर्पित किया जाता है। मान्यता है कि जो सभी पापों और सांसारिक तापों को हरने वाले हरितालिका व्रत को विधिपूर्वक करता है, उसके सौभाग्य की रक्षा स्वयं भगवान शिव करते हैं।
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