संदीप कुमार मिश्र: विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता और संस्कृति है सनातन संस्कृति।हमारा देश भारत त्योहारों का देश कहता है,हमारे सभी त्योहारों की धार्मिक मान्यताएं तो हैं ही साथ ही उनका वैज्ञानिक आधार भी है।यदी हम नवरात्रि की बात करें तो देवी भागवत पुराण के अनुसार साल में चार नवरात्रि हमारे देश में मनाई जाती है। जिनमें दो गुप्त नवरात्रि होती हैं और दो शारदीय नवरात्रि और बासंती नवरात्रि होती हैं जिसे चैत्र नवरात्रि भी कहते हैं।
आपको बता दें कि साल में पड़ने वाले चारों नवरात्रि ऋतु चक्र पर आधारित हैं और ये सब ऋतुओं के संधिकाल में मनाई जाती हैं।
शारदीय नवरात्रि विशेषकर साधक को वैभव और भोग प्रदान करने वाली है।
धर्म शास्त्रों के अनुसार गुप्त नवरात्रि तंत्र सिद्धि के लिए विशेष मानी है जिसमें तपस्वी मुनी तंत्र साधना करते हैं।
इसी क्रम में चैत्र नवरात्रि या बासंती नवरात्रि आत्मशुद्धि और मुक्ति के लिए मनाई जाती है।
आपको बता दें कि चारो नवरात्रि का अपना अपना आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है।क्योंकि यदि आध्यात्मिक दृष्टि से देखेंगे तो यह प्रकृति और पुरुष के संयोग का भी समय होता है।सनातन धर्म में प्रकृति को मातृशक्ति कहा गया है इसलिए इस दौरान शक्ति की पूजा होती है।
स्वयं योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है कि संपूर्ण सृष्टि प्रकृतिमय है और वह सिर्फ पुरुष हैं। यानी हम जिसे पुरुष रूप में देखते हैं वह भी आध्यात्मिक दृष्टि से प्रकृति यानी स्त्री रूप है। स्त्री का शाब्दिक अर्थ यहां है कि जो पाने की इच्छा,लालसा रखने वाला है वही तो स्त्री है, और जो इच्छा की पूर्ति करता है वह पुरुष अर्थात योगेश्वर श्रीकृष्ण है।
। मां दुर्गा की स्नेहमयी कृपा आप पर सदैव बनी रहे हम यही कामना करते हैं।
।।जय माता दी।।
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