संदीप कुमार मिश्र: मां दुर्गा की आराधना साधना का पावन पर्व शारदीय नवरात्र।कहते हैं कि शारदीय नवरात्र जनसामान्य को मनोवांछित फल देने वाला है।ऐसे में आईए जानते हैं कि माता शेरावाली के एक ऐसे अचूक मंत्र के बारे में जो आपकी सर्वमनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला है।
माता शेरावाली की नवरात्रि में साधना करने वाले साधक को नित्य नवार्ण मंत्र का जाप 3 माला अवश्य करना चाहिए।
=:नवार्ण मंत्र:=
'ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे'
कहते हैं कि नौ अक्षरों वाले इस नवार्ण मंत्र के एक-एक अक्षर का संबंध मां दुर्गा की एक-एक शक्ति से है और उस एक-एक शक्ति का संबंध एक-एक ग्रह से है। ग्रहों दुष्प्रभाव से बचने के लिए नवरात्रि में शक्ति की आराधना की जाती है और इन ग्रहों के दुष्प्रभाव से बचने के लिए नवार्ण मंत्र किसी संजिवनी से कम नहीं है।
आइए जानते हैं मां दुर्गा के नवार्ण मंत्र और उनसे संचालित ग्रह
1 नवार्ण मंत्र के नौ अक्षरों में पहला अक्षर ऐं है, जो सूर्य ग्रह को नियंत्रित करता है। ऐं का संबंध मां दुर्गा की पहली शक्ति शैलपुत्री से है, जिसकी उपासना 'प्रथम नवरात्र' को की जाती है।
2 दूसरा अक्षर ह्रीं है, जो चंद्रमा ग्रह को नियंत्रित करता है। इसका संबंध मां दुर्गा की दूसरी शक्ति ब्रह्मचारिणी से है, जिसकी पूजा दूसरे नवरात्रि को की जाती है।
3 तीसरा अक्षर क्लीं है, चौथा अक्षर चा, पांचवां अक्षर मुं, छठा अक्षर डा, सातवां अक्षर यै, आठवां अक्षर वि तथा नौवा अक्षर चै है। जो क्रमशः मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु तथा केतु ग्रहों को नियंत्रित करता है।
इन अक्षरों से संबंधित दुर्गा की शक्तियां क्रमशः चंद्रघंटा, कुष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी तथा सिद्धिदात्री हैं, जिनकी आराधना क्रमश: तीसरे, चौथे, पांचवें, छठे, सातवें, आठवें तथा नौवें नवरात्रि को की जाती है।
इस नवार्ण मंत्र के तीन देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश हैं तथा इसकी तीन देवियां महाकाली, महालक्ष्मी तथा महासरस्वती हैं,मां दुर्गा की यह नौ शक्तियां साधक को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चार पुरुषार्थों की प्राप्ति में सहायक होती हैं।
हम सब जानते हैं कि नवरात्रि का पर्व नौ शक्ति रुपी देवियों के पूजा के लिए है। यह सभी देवी रूप अपने आप में अतुल्य शक्ति और भक्ति के भंडार है।इस चराचर जगत में अच्छाई के लिए माँ का कल्याणकारी रूप सिद्धिदात्री , महागौरी आदि है, और इसी के साथ संसार में उत्पन्न हो रही बुराई के लिए माँ कालरात्रि , चन्द्रघंटा रूप धारण कर लेती है।
अब जाने वे बीज मंत्र जो इन नौ देवियों को प्रसन्न करते है।
नौ देवीयों का पृथक बीज मंत्र
1. शैलपुत्री : ह्रीं शिवायै नम:
2. ब्रह्मचारिणी : ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:
3. चन्द्रघंटा : ऐं श्रीं शक्तयै नम:
4. कूष्मांडा ऐं ह्री देव्यै नम:
5. स्कंदमाता : ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:
6. कात्यायनी : क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:
7. कालरात्रि : क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:
8. महागौरी : श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:
9. सिद्धिदात्री : ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:
।।जय माता दी।।
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