संदीप कुमार मिश्र: शरद पूर्णिमा के लिए पूर्णिमा तिथि की शुरुआत इस बार 23 अक्टूबर की रात्री 10:36 पर होगी और पूर्णिमा तिथि का समापन 24 अक्टूबर की रात्री 10:14 पर होगा।इस लिहाज से पूर्णिमा की पूजा, व्रत और स्नान बुधवार यानी 24 अक्टूबर को ही होगा। ऐसा कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा सोलह कलाओं से युक्त होता है।जनसामान्य शरद पूर्णिमा को कोजागर पूर्णिमा या कोजागरी के नाम से भी जानते हैं।कहते हैं कि पूर्णिमा की रात को माता लक्ष्मी स्वर्ग लोक से पृथ्वी पर प्रकट होती हैं और इस रात को जो भी साधक मां लक्ष्मी जी का पूजा करता हुआ नजर आता है मां की उस पर विशेष कृपा बरसती हैं।
जानिए शरद पूर्णिमा पर पूजा करने से क्या होता है लाभ
शरद पूर्णिमा की रात्रि जब चारों तरफ चांद अपनी रोशनी बिखेरता है उस समय मां लक्ष्मी की पूजा करने से धन का लाभ होता है।कहते हैं कि मां लक्ष्मी को सुपारी बहुत पसंद है।इसलिए मां की पूजा में सुपारी का इस्तेमाल अवश्य करना चाहिए। पूजा के बाद सुपारी पर लाल धागा लपेटकर उसको अक्षत, कुमकुम, पुष्प आदि से पूजन करके उसे तिजोरी में रखने से कभी धन की कमी नहीं होती है।
शरद पूर्णिमा की रात्रि को हनुमान जी के सामने चौमुखा दीपक जलाना चाहिए। इससे घर में सुख शांति बनी रहती है।वहीं इस रात भगवान शिव को खीर का भोग भी लगाना चाहिए।
उपाय-खीर को पूर्णिमा वाली रात छत पर रखें। भोग लगाने के बाद उस खीर का प्रसाद ग्रहण करें। इस उपाय से भी कभी पैसे की कमी नहीं होती है।
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