संदीप कुमार मिश्र: चार दिनों तक चलने वाले सूर्य उपासना के महापर्व की शुरुआत नहाय खाय से होती है और समापन उगते हुए सूर्य को अर्ध्य देने से संपन्न होती है।छठ पूजा के इन चार दिनो का विशेष महत्व होता है। इन चार दिनो में व्रती निर्जला उपवास रखेंगे और शाम को पूजा के बाद खीर और रोटी का प्रसाद ग्रहण करेते हैं। अथर्ववेद के अनुसार षष्ठी देवी भगवान भास्कर यानि सूर्य की मानस बहन हैं। प्रकृति के छठे अंश से माता षष्ठी का प्रादुर्भाव हुआ हैं। षष्ठी यानी छठी मईया को बच्चों की रक्षा करने वाले भगवान विष्णु द्वारा रची माया भी कहा जाता है।
इसीलिए जब हमारे घरों में किसी बच्चे के जन्म होता है तो छठे दिन छठी पूजी जाती है, जिससे कि बच्चे के ग्रह-गोचर शांत हो जाएं।
जानिए कब है नहाय-खाए, खरना, सायंकालीन अर्घ्य, प्रात:कालीन अर्घ्य
नहाय-खाए : रविवार 11 नवंबर
खरना (लोहंडा): सोमवार 12 नवंबर
सायंकालीन अर्घ्य: मंगलवार 13 नवंबर
(सूर्य योग में भगवान भास्कर को पहला अर्घ्य 13 नवंबर को)
प्रात:कालीन अर्घ्य: बुधवार 14 नवंबर
http://sandeepaspmishra.blogspot.com/2018/11/chhath-puja-2018.html
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