Dharm Desk tbc/Makar Sankranti 2021: मकर संक्रांति का पावन पर्व सूर्यदेव के मकर राशि में गोचर होने पर मनाई जाती है।ऐसी पौराणिक मान्यता है कि मकर संक्रांति विशेषतौर पर नई फल और नई ऋतु के आगमन के लिए मनाया जाता है।सनातन धर्म में मकर संक्रांति का धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों ही महत्व हैं। ऐसा माना जाता है कि मकर संक्रांति के दिन सूर्यदेव अपने पुत्र शनिदेव के घर जाते हैं। सूर्यदेव इस दिन मकर राशि में जाते है। शनिदेव को मकर और कुंभ राशि का स्वामी माना जाता है। इस कारण से यह दिन पिता और पुत्र के अनोखे मिलन का दर्शाता है। मकर संक्रांति के दिन तिल और गुड़ से बने लड्डू और अन्य मीठे पकवान बनाने की भी परंपरा है।
मकर संक्रांति के दिन विशेष रूप से खिचड़ी बनाने, खाने और दान करने का विशेष महत्व है। इसलिए देश के उत्तरी पूर्वी भाग यानी यूपी,बिहार में इसे मकर संक्रांति और खिचड़ी पर्व के रुप में मनाया जाता है। जबकि पंजाब और जम्मू-कश्मीर में मकर संक्रांति को लोहड़ी के नाम से मनाया जाता है।वहीं तमिलनाडु में मकर संक्रांति को पोंगल के रुप में मनाया जाता है। इस दिन लोग खिचड़ी बनाकर खाते हैं और दान भी करते हैं साथ ही दही-चूड़ा भी खाते और दान करते हैं और तिल के लड्डू भी बनाए,खाए और दान किए जाते हैं।
ज्योतिशास्त्र के अनुसार मकर संक्रांति के दिन गर्म वस्त्र, तिल की मिठाईयां, खिचड़ी के साथ धन आदि दान देने से जिसकी कुंडली में शनि खराब होता है वो ठीक हो जाता है और कष्टों से मुक्ति मिलती है।
मकर संक्रांति का महत्व
शास्त्रों के अनुसार दक्षिणायण को देवताओं की रात्रि अर्थात नकारात्मकता का प्रतीक तथा उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। ऐसी धारणा है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर पुन प्राप्त होता है। इस दिन शुद्ध घी एवं कम्बल का दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है। मकर संक्रान्ति के अवसर पर गंगास्नान एवं गंगातट पर दान को अत्यन्त शुभ माना गया है। इस पर्व पर तीर्थराज प्रयाग एवं गंगासागर में स्नान को महास्नान की संज्ञा दी गई है।मकर संक्रान्ति से सूर्य उत्तरी गोलार्ध की ओर आना शुरू हो जाता है। इसलिए इस दिन से रातें छोटी एवं दिन बड़े होने लगते हैं तथा गरमी का मौसम शुरू हो जाता है। दिन बड़ा होने से प्रकाश अधिक होगा तथा रात्रि छोटी होने से अंधकार कम होगा। अत: मकर संक्रान्ति पर सूर्य की राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर होना माना जाता है। प्रकाश अधिक होने से प्राणियों की चेतनता एवं कार्य शक्ति में वृद्धि होगी।
वर्ष 2021 में मकर संक्रांति
14 जनवरी 2021, दिन गुरुवार
शुभ मुहूर्त
मकर संक्रांति पुण्य काल
08:30 AM से 04:46 PM
मकर संक्रांति महा पुण्य काल
08:30 AM से 10:17 AM
मकर संक्रांति पूजा विधि
मकर संक्रांति के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान अवश्य करना चाहिए। यदि आप किसी पवित्र नदी में स्नान नहीं कर सकते हैं तो आपको घर ही पानी में तिल और गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए। और साफ वस्त्र धारण करने चाहिए। उसके बाद एक साफ चौकी लेकर उसपर गंगाजल छिड़कें और लाल वस्त्र बिछाएं। उसके बाद उस चौकी पर लाल चंदन से अष्टदल कमल बनाएं। इसके बाद सूर्यदेव का चित्र या तस्वीर चौकी पर स्थापित करें और एक तांबे के लोटे में जल लेकर चौकी पर रखें। और हाथ में अक्षत लेकर सूर्यदेव का आह्वान करें और सूर्यदेव को लाल चंदन का तिलक करें। इसके बाद उन्हें लाल पुष्पों की माला पहनाएं और लाल पुष्प अर्पित करें। इसके साथ ही नेवैद्य और लाल फल आदि सूर्यदेव को अर्पित करें। और फिर सूर्यदेव के मंत्रों का जप करें। तथा आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ भी करें। इसके बाद उनका विधिवत पूजन करें। धूप और दीप अर्पित करें। और सूर्यदेव की आरती करें। इसके बाद उन्हें तिल और गुड़ से बने हुए लड्डुओं का भोग लगाएं। भोग लगाने के बाद तांबे के लोटे का जल सूर्यदेव को अर्पित करें। और सूर्य मंत्र का जप करें।