वट सावित्री व्रत या वट पूर्णिमा का त्योहार पतिव्रता महिलाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक व्रतों में से एक है । अमावस्या या पूर्णिमा के दिन इस व्रत का पालन किया जाता है।वट सावित्री व्रत करने से पति दीर्घायु और परिवार में सुख शांति आती है। वट सावित्री व्रत में ‘वट’ और ‘सावित्री’ दोनों का खास महत्व माना गया है। पीपल की तरह वट या बरगद के पेड़ का भी विशेष महत्व है। पुराणों की मानें तो वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों का वास है। इस व्रत में बरगद के पेड़ के चारों ओर घूमकर सुहागिनें रक्षा सूत्र बांधकर पति की लंबी आयु की कामना करती हैं।
वट सावित्री व्रत 2021 शुभ मुहूर्त
वट सावित्री व्रत 10 जून 2021, दिन गुरुवार
अमावस्या तिथि प्रारंभ- 09 जून 2021, दोपहर 01:57
अमावस्या तिथि समाप्त- 10 जून 2021 दोपहर 04:20
व्रत पारण- 11 जून 2021, दिन शुक्रवार
वट सावित्री व्रत पूजन सामग्री
सत्यवान-सावित्री की मूर्ति, धूप, मिट्टी का दीपक, घी, फूल, फल, 24 पूरियां, 24 बरगद फल (आटे या गुड़ के) बांस का पंखा, लाल धागा, कपड़ा, सिंदूर, जल से भरा हुआ पात्र और रोली।
वट सावित्री व्रत की पूजा के लिए एक बांस की टोकरी में सात तरह के अनाज रखे जाते हैं जिसे कपड़े के दो टुकड़ों से ढक दिया जाता है। एक दूसरी बांस की टोकरी में देवी सावित्री की प्रतिमा रखी जाती है। वट वृक्ष पर महिलायें जल चढ़ा कर कुमकुम, अक्षत चढ़ाती हैं। फिर सूत के धागे से वट वृक्ष को बांधकर उसके सात चक्कर लगाए जाते हैं और चने गुड़ का प्रसाद बांटा जाता है। इसके बाद महिलाएं कथा सुनती हैं।
वट सावित्री व्रत के दिन महिलाएं क्या करती हैं
महिलाएं सूर्योदय से पहले आंवले और तिल के साथ पवित्र स्नान करती हैं और नए व साफ कपड़े पहनती हैं। वे सिंदूर लगाने के साथ-साथ चूड़ियाँ पहनती हैं जो कि किसी महिला का विवाहित होना दर्शाता है।
भक्त इस विशेष दिन पर वट (बरगद) के पेड़ की जड़ों का सेवन करते हैं और अगर व्रत लगातार तीन दिनों तक है तो भी वे पानी के साथ इसका ही सेवन करते हैं।
वट वृक्ष की पूजा के बाद वे पेड़ के तने के चारों ओर लाल या पीले रंग का पवित्र धागा बाँधते हैं।
उसके बाद, महिलाएं बरगद के पेड़ को चावल, फूल और पानी चढ़ाती हैं और फिर पूजा पाठ करने के साथ पेड़ की परिक्रमा (फेरे) करती हैं।
यदि बरगद का पेड़ मौजूद नहीं हो, तो भक्त लकड़ी के आधार पर चंदन के पेस्ट या हल्दी की मदद से पेड़ का चित्र बना सकते हैं। और फिर उसी तरह से पूजा पाठ करते हैं।
भक्तों को वट सावित्री व्रत के दिन विशेष व्यंजन और पवित्र भोजन तैयार करने की भी जरूरत होती है। और पूजा संपन्न होने के बाद, परिवार के सभी सदस्यों के बीच प्रसाद वितरित किया जाता है।
महिलाएं अपने घर के बुजुर्गों का आशीर्वाद लेती हैं।
आज के दिन दान करना चाहिए और जरूरतमंदों को कपड़े, भोजन, धन और अन्य आवश्यक वस्तुओं का उपहार देना चाहिए।
वट सावित्री व्रत का महत्व
ऐसी मान्यता है कि वट वृक्ष के नीचे बैठकर ही सावित्री ने अपने पति सत्यवान को दोबारा जीवित कर लिया था। दूसरी कथा के अनुसार मार्कण्डेय ऋषि को भगवान शिव के वरदान से वट वृक्ष के पत्ते में पैर का अंगूठा चूसते हुए बाल मुकुंद के दर्शन हुए थे, तभी से वट वृक्ष की पूजा की जाती है। वट वृक्ष की पूजा से घर में सुख-शांति, धनलक्ष्मी का भी वास होता है।