कर्मफलदाता शनिदेव।जिन्हें कहा जाता है दंडाधिकारी ,जो बड़े न्यायप्रिय भी हैं। जो अपनी दृष्टि से राजा को भी बना देते हैं रंक और रंक को राजा। शनिदेव जो हैं सूर्य के पुत्र ।ऐसे शनिदेव की जयंती पर बड़े विधि विधान से पूजा पाठ करने का विधान है।कहते हैं कि ज्येष्ठ माह की अमावस्या को ही सूर्यदेव एवं छाया (संवर्णा) की संतान के रूप में शनि का जन्म हुआ।
शनि जयंती हिंदू पंचांग के ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाई जाती है।खासकर शनि की साढ़े साती, शनि की ढ़ैय्या आदि शनि दोष से पीड़ित जातकों के लिये इस दिन का बड़ा विशेष महत्व माना जाता है। शनि राशिचक्र की दसवीं व ग्यारहवी राशि मकर और कुंभ के अधिपति हैं। एक राशि में शनि लगभग 18 महीने तक रहते हैं। शनि का महादशा का काल भी 19 साल का होता है। प्रचलित धारणाओं के अनुसार शनि को क्रूर एवं पाप ग्रहों में गिना जाता है और अशुभ फल देने वाला माना जाता है लेकिन असल में ऐसा है नहीं। क्योंकि शनि न्याय करने वाले देवता हैं और कर्म के अनुसार फल देने वाले कर्मफलदाता हैं इसलिये वे बूरे कर्म की बूरी सजा देते हैं अच्छे कर्म करने वालों को अच्छे परिणाम देते हैं।
शनि जयंती पर्व तिथि व मुहूर्त
शनि जयंती 10 जून 2021
अमावस्या तिथि आरंभ - 13:57 बजे (9 जून 2021)
अमावस्या तिथि समाप्त - 16:21 बजे (10 जून 2021)
क्या है शनि जयंती के अनुष्ठान ? कैसे करें पूजा ?
शनि जयंती के दिन किया गया दान पूण्य एवं पूजा पाठ शनि संबंधि सभी कष्टों को दूर करने में सहायक होता है। शनिदेव के निमित्त पूजा करने हेतु साधक को चाहिए कि वह शनि जयंती के दिन प्रात: जल्दी स्नान आदि से निवृत्त होकर नवग्रहों को नमस्कार करते हुए शनिदेव की लोहे की मूर्ति स्थापित करें और उसे सरसों या तिल के तेल से स्नान कराएं तथा षोड्शोपचार पूजन करें साथ ही शनि मंत्र का उच्चारण करें :-ॐ शनिश्चराय नम:।।
शनि जयंती के दिन एक विशेष पूजा समारोह, यज्ञ, या होम शनि मंदिरों या नवग्रह मंदिरों में आयोजित किए जाते हैं।
अनुष्ठान को प्रारम्भ करने से पहले, भक्त पूजा स्थल और देवता की मूर्ति को भी साफ करते हैं। सफाई पानी, तेल, पंचामृत और गंगाजल से की जाती है।
मूर्ति को गले के एक आभूषण से सजाया जाता है जिसमें नौ कीमती रत्न शामिल हैं जिन्हें नवरत्न हार के नाम से जाना जाता है और इसके बाद पूजा प्रारम्भ की जाती है।
शनिदेव को प्रसन्न करने और जीवन में सफलता पाने के लिए शनि स्तोत्र का पाठ करें।
बाधाओं और कठिनाइयों से मुक्त जीवन जीने के लिए शनि जयंती के दिन सरसों के तेल, तिल और काले रंग के कपड़े दान करने की भी आवश्यकता होती है।
शनि जयंती व्रत का पालन करने के लाभ
शनिदेव की कृपा से आप अपने शत्रुओं और प्रतिकूलताओं पर विजय प्राप्त करते हैं।
शनिदेव हानिकारक, नकारात्मक और बुरी शक्तियों से आपकी सुरक्षा करते हैं।
शनिदेव की भक्ति आपको आस्थावान बनाती है।
शनिदेव की पूजा से हम शनि ग्रह के नकारात्मक प्रभाव से बच जाते हैं।
शनिदेव कर्ज और उधार से भी छुटकारा दिलाते हैं।
शनि जयंती सनातन हिंदू धर्म में एक बहुत ही शुभ दिन होता है और इसे भगवान शनि के हानिकारक प्रभावों से दूर करने के लिए पूरी निष्ठा के साथ मनाया जाता है।
।।आप सभी को शनी जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं।।