'गंगा तव दर्शनात् मुक्ति' अर्थात गंगा तेरे दर्शन मात्र से ही मुक्ति मिलेगी। पुराणों में वर्णित है कि आदि काल में गंगा के अवतरण दिवस पर भगवान विष्णु ने यही कहकर आशीर्वाद दिया था।कल कल बहती मां गंगा की अविरल धारा,जिनके आंचल में तमाम संस्कृतियों का उद्भव और विकास हुआ।मोक्षदायिनी माँ गंगा का सनातन धर्म संस्कृत मं विशेष महत्व है।माँ गंगा की आराधना और साधना का पवित्र पर्व है गंगा दशहरा।जो हर साल ज्येष्ठ माह शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है।
गंगा दशहरा का त्योहार इस वर्ष 20 जून रविवार को मनाया जाएगा। इस दिन पवित्र नदी गंगा में स्नान करने से मनुष्य अपने पापों से मुक्त हो जाता है। स्नान के साथ-साथ इस दिन दान-पुण्य करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि इस दिन मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था। वैसे तो गंगा दशहरा पर गंगा नदी में स्नान का करने का महत्व है। वर्तमान में कोरोना संक्रमण के चलते आप घर ही स्नान के पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें मिलाकर स्नान करें।आईए जानते हैं गंगा दशहरा का शुभ मुहूर्त-
गंगा दशहरा शुभ मुहूर्त
दशमी तिथि आरंभ: शनिवार, शाम 06:50 बजे से (19 जून 2021)
दशमी तिथि समापन: रविवार शाम 04:25 बजे (20 जून 2021)
गंगा दशहरा की पूजा विधि
प्रात: जल्दी उठें और नित्यकर्म के बाद स्नान के पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान करें।
स्नान के बाद सूर्य देवता को अर्घ्य देकर नमन करें।
“ऊँ श्री गंगे नम:” मंत्र का उच्चारण मां गंगा का ध्यान करें।
गंगा मां की पूजा के बाद गरीब, ब्राह्मणों और जरूरतमंद लोगों को दान दक्षिणा दें।
माँ गंगा की आराधना का मंत्र
“नमो भगवते दशपापहराये गंगाये नारायण्ये रेवत्ये शिवाये दक्षाये अमृताये विश्वरुपिण्ये नंदिन्ये ते नमो नम:”
अर्थ - हे भगवती, दसपाप हरने वाली गंगा, नारायणी, रेवती, शिव, दक्षा, अमृता, विश्वरूपिणी, नंदनी को को मेरा नमन।
गंगा दशहरा का धार्मिक महत्व
सनातन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार,माँ गंगा की आराधना करने से व्यक्ति को अनेकों प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। गंगा ध्यान एवं स्नान से प्राणी काम, क्रोध, लोभ, मोह, मत्सर, ईर्ष्या, ब्रह्महत्या, छल, कपट, परनिंदा जैसे पापों से मुक्त हो जाता है। गंगा दशहरा के दिन साधकों को मां गंगा की पूजा-अर्चना के साथ दान-पुण्य भी करना चाहिए। गंगा दशहरा के दिन सत्तू, मटका और हाथ का पंखा दान करने से दोगुना फल की प्राप्ति होती है।
माँ गंगा के अवतरण की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, मां गंगा को स्वर्ग लोक से धरती पर राजा भागीरथ लेकर आए थे। इसके लिए उन्होंने कठोर तप किया था। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा ने भागीरथ की प्रार्थना स्वीकार की थी। लेकिन गंगा मैया ने भागीरथ से कहा था कि पृथ्वी पर अवतरण के समय उनके वेग को रोकने वाला कोई चाहिए अन्यथा वे धरती को चीरकर रसातल में चली जाएंगी और ऐसे में पृथ्वीवासी अपने पाप से मुक्त नहीं हो पाएंगे। तब भागीरथ ने मां गंगा की बात सुनकर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की। भागीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर प्रभु शिव ने गंगा मां को अपनी जटाओं में धारण किया।
।।आप सभी गंगा दशहरा की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएँ।।