पेट में कीड़े होना एक आम समस्या है। आमतौर पर ये बीमारी छोटे बच्चों को होती है पर बड़े भी इससे अछूते नहीं हैं। आज हम आपको पेट में कीड़ों की समस्या यानि कृमि रोग ( worm disease) के विषय में विस्तार से बताएँगे।
अगर मल त्याग करने जाने पर पता चले की मल में छोटे सफ़ेद कीड़े हैं, या फिर मल त्याग मार्ग पर खुजली की समस्या होती है तो यह कृमि रोग यानि पेट में कीड़े होने का रोग हो सकता है। कृमि रोग बढ़ जाने पर पेट दर्द की शिकायत भी हो सकती है। व्यस्त जीवन में कई लोग इस समस्या को मामूली समझ कर अनदेखा कर देते हैं। और आगे चल कर यह छोटी सी बीमारी गंभीर स्वरूप ले लेती है।
हमारा शरीर काफी जटिल अवयवों से बना होता है। शरीर को तंदरुस्त रखने के लिये सही खान-पान एवं व्यायाम अत्यंत महत्वपूर्ण है। मानव शरीर के लिये ऊर्जा का परम स्रोत भोजन होता है। खाना खाने से शरीर को एनर्जी मिलती है। और एनर्जी से शरीर के सभी अंग सुचारु रूप से कार्य कर पाते हैं। इस प्रणाली में व्यवधान आने पर कृमि रोग यानी पेट में कीड़ों की समस्या हो सकती है। समय रहते कृमि रोग का उपचार नहीं किया तो यह सामान्य बीमारी कष्टदायक बन जाती है।
पेट में कृमि रोग होने के लक्षण क्या हैं?
व्यक्ति सोते हुए अपने दाँत पीसता है
कई बार नाक में खुजली होती है
मल में सफ़ेद कीड़े दिखना
त्वचा में रूखापन आ जाना
जीभ का रंग सफेद रहना
गालों पर धब्बे दिखना
आँखों का लाल रहना
हल्का सा बुखार आना
पेट दर्द की समस्या रहना
मिथली आना
भोजन में अरुचि होना
शरीर में कमज़ोरी महसूस होना
पेट में कीड़ों की समस्या का मुख्य कारण क्या होता है?
1. भूख ना लगने पर खाना खाने की आदत
2. गंदे हाथों से भोजन खाना
3. मक्खियों से दूषित हुआ भोजन ग्रहण करना
4. खट्टी-मीठी वस्तुओं का अधिक सेवन
5. मैदा, रायता, दही, कढ़ी, पिसा हुआ अन्न
6. अशुद्ध अथवा दूषित पानी पीना
7. शरीर की प्रति रक्षा प्रणाली (immunity system) कमज़ोर पड़ने से
कृमि रोग समस्या होने पर किन चीजों से दूरी बनाये रखें
नमकीन खाना, मांस, मछ्ली, बेसन के पकवान, आलू, लाल मिर्च, मुली, दूध, दही, देशी घी, अन्डा, खटाई, बासी वस्तु खाना, देर रात जागना, दिन के समय निंद्रा करना, शरीर पर मालिश करना, मदिरा, सिगारेट का सेवन करना।
यह सब कृमि रोग में हानिकारक होता है, इन सबसे दूर रहें।
कृमि रोग समस्या होने पर किन चीजों का सेवन लाभदायक होगा
आवला, संतरा, अदरक का रस एवं चटनी, शहद, नींबू, मूंग, पुराने चावल, हींग, अजवायन का रस, अन्नानास का रस, सरसों का साग, राय, जीरा, लौकी, करेला, परवल, तोरई, बथुआ, कांजी, अरहर, और सेब का सेवन करने से कृमि रोग का ज़ोर कम होने लगता है।
पेट के कीड़ों की समस्या दूर करने के लिये आयुर्वेदिक उपचार –
50 ग्राम सोनामक्खी, 50 ग्राम गुलकंद, 20 ग्राम मुनक्का, 20 ग्राम शहद, 20 ग्राम हरड़ की छाल, 20 ग्राम सौठ, इन चारों को मिश्रित कर के छोटी छोटी गोलीयां तैयार कर लीजिये। इन गोलियों को दूध के साथ लेना अत्यंत लाभदायक होता है। इस प्रयोग से कुछ ही दिन में पेट के कीड़े मर जाते हैं। इन गोलियों को दिन में दो से तीन बार ले सकते हैं।
चीनी, नमक और कली का चूना- तीनों को 2-2 ग्राम ले लीजिये, और 200 ml पानी में डाल दीजिये। अब उस पानी में से 20 मिली लीटर पानी… पियें कुछ दिन इस प्रयोग को लगातार करने से कृमि रोग दूर होगा।
जैतून का तेल और तेजपाल समान मात्रा में ले कर इसे मिला लेने से और इस मिश्रित तेल को गुदा द्वार पर लगा लेने से कृमि रोग में राहत मिलती है। 3 ग्राम गुड़ लें उसमें कबीला मिला लें इन दोनों को साथ खाने से भी पेट के कीड़े दूर होंगे। प्याज का रस पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं। प्याज के रस में सेधा नमक मिला कर पीने से अधिक लाभ होता है। प्याज का रस शहद के साथ मिला कर पीने से भी कृमि रोग में लाभ होगा।
कृमि रोग दूर करने के लिये काली मिर्च भी उत्तम उपाय है। 20 से 25 ग्राम पुदीने के साथ 10 ग्राम काली मिर्च के चूरन को छाछ के साथ पी लें। इस प्रयोग को एक हफ्ते तक लगातार करने से पेट में उपस्थित कृमि नष्ट हो जाते हैं।
गुड़ और लहसुन समान मात्रा में ले कर खा लेने से पेट के कीड़े मरते हैं।
दिन में दो बार सेंध नमक वाली लसुन की चटनी खाने से भी कृमि नाश होते हैं।
छाछ में लहसुन के रस की कुछ बूंदें मिला कर पीने से इस रोग में राहत हो जाती है। यह प्रयोग दिन में दो से तीन बार करें।
एक सप्ताह तक आंवले का रस दिन में तीन बार पीने से पेट के कीड़े दूर हो जाते हैं।
बथुआ को गरम पानी में उबाल कर उसका रस निकाल कर पीने से पेट के कीड़े नाश होते हैं।
बथुआ के बीजों को पीस कर शहद के साथ मिश्रित कर के पीने पर कृमि रोग में राहत मिलती है।
तुलसी के पत्तों का काढ़ा बना कर पीने से कृमि मर जाते हैं। बच्चों के कृमि रोग इस उपाय से तुरंत दूर हो जाते हैं।
कुछ समय तक कच्चे केले की सब्जी बना कर खाने से कृमि रोग मिट जाता है।
बायविडंग तथा सौठ को साथ में पीस कर चूर्ण बना कर उसे शहद के साथ लेने पर पेट के कीड़े दूर होते हैं।
अखरोट को गरम दूध के साथ लेने से इस रोग में लाभ होता है।
प्रति दिन पके हुए नारीयेल का पानी पीने से लाभ होता है।
कद्दू के रस को रोज़ाना पीने से पेट के कीड़े नाश होते हैं।
शहद के साथ काले ज़ीरे का चूर्ण लेने से पेट के कीड़े साफ होते हैं।
हींग खाने से पेट के कीड़े मरते हैं। हींग में थोड़ा पानी मिला कर गुदा मार्ग पर लगाने से भी राहत होती है।
खाली पेट गाजर का रस पीने से कृमि रोग दूर होता है। कुछ दिन तक कच्चे गाजर खाने से भी पेट के कीड़े मर जाते हैं।
चुटकी भर नमक डाल कर एक गिलास पानी पीने से भी पेट के कीड़े मरते हैं। और मल द्वार से बाहर निकल जाते हैं।
बिजौरा नींबू के सूखे छिलकों का काढ़ा पीने से भी कृमि रोग दूर हो जाता है।
नींबू के रस को पीने से आमवात की शिकायत दूर होती है और पेट के कीड़े भी नाश होते हैं।
पान का रस भी इस समस्या को दूर करने में कारगर होता है।
लता करंज का तेल पीने से कृमि नाश होते हैं।
कच्चा नारीयेल खाने से एवं नारीयेल का पानी रोज़ पीने से पेट के कीड़े दूर होते हैं।
पोदीने का रस पीने से कृमि मर जाते हैं। नींबू और पुदीने का रस मिला कर पीने से अधिक लाभ होता है।
नीम, हल्दी तथा त्रिफला तीनों को समान मात्रा में ले कर मिला लें और फिर इस चूरन का सेवन करें इस चूरन के सेवन से तो कृमि रोग और कुष्ट रोग भी दूर हो जाता है।
मसूर की दाल नियमित खाने से पेट के कीड़ों की समस्या नहीं होती है।
दूध या मक्खन के साथ कच्ची सुपारी का बारीक चूर्ण मिला कर उसका सेवन करने से कृमि रोग दूर होगा।
चमेली के पत्तों को पीस कर उसका रस निकाल कर उसे पीने से कृमि मर जाते हैं।
कच्चे आम की गुठलीयों का चूरन बना कर उस चूरन को दिन में दो बार ग्रहण करने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
गाय के दूध से जमाये दही से बनी छाछ में नमक डाल कर पीने से कृमि नष्ट होते हैं।
गुड़ में अजवायन का बारीक चूर्ण मिला कर उस का सेवन करने से पेट के कीड़े दूर होते हैं।
इंद्रजौ को ठीक से पीस कर उसका चूरन लेने से भी कृमि दूर होते हैं।
शहद के साथ मोथा का चूर्ण मिला कर लेने से कृमि दूर होते हैं।
हींग के साथ बच का चूर्ण लेने पर कृमि रोग दूर होगा। बच्चों के कृमि रोग के लिये यह आसान उपाय है।
एरण्ड के पत्तों का रस निकालें, फिर उस रस में थोड़ी हींग मिश्रित करें, इस प्रयोग से पेट के कीड़े मर जाते हैं और मल द्वार से बाहर आ जाते हैं।
नीम की छाल का काढ़ा, चिरायता, तुलसी का रस, तथा नीम का तेल मिला कर पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं। और कृमि रोग से उत्पन्न हुए दर्द में भी राहत मिलती है।
गौमूत्र के साथ पीसी हुई राई का चूरन लेने से भी कृमि रोग दूर होगा। राई का चूरन एक या आधा चम्मच 100ml गौमूत्र के साथ घोल कर पी जाएँ।
संतरे का रस दिन में दो से तीन बार पीने से पेट के कीड़े मरते हैं।
एरण्ड के तेल के साथ भांगरे का पिसा हुआ चूर्ण लेने पर भी पेट के कीड़े दूर होते हैं।
सोयाबीन की दही खाने से कृमि रोग दूर होता है।
मूली खाने से भी पेट के कीड़े मर जाते हैं।
अंकोल के पेड़ की छाल को खूब बारीक पीस लें फिर उस चूर्ण को दिन में दो बार लेने से कृमि रोग में राहत मिलती है।
आड़ू के पत्तों को बारीक पीस कर उसमें थोड़ी सी हींग मिला कर उसका सेवन करने से भी कृमि रोग दूर होगा।
भोजन लेने के करीब 30 से 60 मिनट बाद एक गिलास गुनगुना गरम पानी पीने से पेट के कीड़े मर सकते हैं। याद रहे की पानी ठंडा भी ना हों और अधिक गरम भी ना हों।
गिलोय के चूर्ण में अश्वगंधा का चूर्ण मिश्रित कर के उसे शहद के साथ लेने से पेट के कीड़े मरते हैं और कृमि रोग के के कारण उत्पन्न हुए पेट दर्द से भी राहत मिलती है।
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