लहसुन (Garlic) एक शक्तिशाली प्राकृतिक एण्टीबायोटिक, एन्टी-फंगल, और एन्टी बैक्टीरियल हर्ब है। उम्र के साथ होने वाले शारीरिक परिवर्तनों को कम करने आदि सभी रोगों को ठीक करने में सहायता करता है। साथ ही यह एक बेहतरीन दर्दनाशक भी है | यह पुरुषों और स्त्रियों दोनों के लिए लहसुन के लाभ बराबर है |
भारत के प्राचीन आयुर्वेद ग्रंथो में लहसुन को ऐसे परिभाषित किया गया है :
‘चरक संहिता’ के ‘सूत्रस्थान’ नामक भाग में लशुन ( लहसुन ) के गुण इस प्रकार बताए गए हैं | लशुन कीड़ों को मारता है। कोढ़ मिटाता है। (सफेद कुष्ठ) मिटाता है। वात का असर दूर करता है। पेट की गैस, अफारा दूर करता है। यह स्निग्ध होता है, खुश्क नहीं। यह गर्म, वीर्यवर्धक, कटु तथा कुछ भारी (सकील- यानि देर में हजम होने वाला) होता है।
लशुन चिकना, गर्म, तीखा, कटु, लेसदार, भारी, कब्ज को तोड़ने वाला, मधुर रसवाला, बलदायक, वीर्यवर्धक, बुद्धि वर्धक, स्वर को मधुर बनाने वाला, चेहरे के रंग को उजला और आकर्षक बनाने वाला, आंखों की ज्योति बढ़ाने और आंखों के रोग दूर करने वाला है। यह टूटी हुई हड्डी को जोड़ने के लिए सामर्थवान है। हृदयरोग को दूर करता है। पुराने बुखार को हटाता है। शरीर की पीड़ा दूर करता है। निबंध, अफारा, वायुगोला अरुचि को दूर करता है। भूख जगाता है। खांसी को दूर करता है। शोफ,अर्श, कोढ़, पाचन अग्निमंदता को दूर करता है। पेट के कीड़े मारता है। वायु, सांस तथा कफ के रोगों को दूर करता है।
दिल की बीमारियों से बचाव में इसका महत्तवपूर्ण उपयोग है क्योंकि यह खून के थक्कों को बनने से रोकता है ,साथ ही Garlic खाने से कोलेस्ट्रॉल की मात्र भी कम हो जाती है जो दिल की बीमारी होने का सबसे बड़ा कारण होता है। यहाँ तक कि यदि भोजन में इसकी ज़रा सी भी मात्रा शामिल की जाए तो यह रक्त को पतला रखने में मदद करता है जिससे धमनियों में रक्त के थक्के नहीं जमते। यह खोज वैज्ञानिकों ने 1970 में की थी। शोध भारत और जापान के जैन समुदाय पर किया गया था। इस समुदाय के कुछ लोग Garlic और प्याज से पूरा परहेज़ रखते हैं, वहीं कुछ लोग इनका भरपूर सेवन करते हैं। तीसरा समूह संतुलित मात्रा में इसका सेवन करता है। इन समूहों की जीवन शैली सामान्यत: एक सी होती है जिससे शोधकर्ताओं को सहायता मिली। वे जैनी जो लहसुन और प्याज का सेवन करते हैं वे सप्ताह में लगभग 500 ग्राम प्याज और लहसुन की 17 कलियां खाते हैं। यह पाया गया कि इन लोगों के खून में थक्का जमाने की प्रवृत्ति अन्य दो समूहों की तुलना में कम पाई गई। साथ ही वह समूह जो प्याज और Garlic से परहेज़ रखता था, उनके रक्त में थक्का जमाने की प्रवृत्ति सबसे अधिक पाई गई।
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