पिंडदान
 पंडित की विदà¥à¤µà¤¤à¤¾ पर
कोई शक करे और पà¥à¤°à¤¶à¤¨ पूछे
किसी की कà¥à¤¯à¤¾ है मजाल,
डर लगता है सबको
उस अनहोनी का
कि कहीं और न बिगड़ जाà¤
बिगडे वक़à¥à¤¤ कि चाल,
चाहे ख़à¥à¤¦ अपने करà¥à¤®à¥‹à¤‚ से पाले हों
जिंदगी के सारे बवाल,
कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि कोई पिता
बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ कि जिंदगी मैं
नहीं घोलता ज़हर
और नाही पालता कोई जंजाल,
पर पिंडदान और पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ को तरà¥à¤ªà¤£ के वक़à¥à¤¤
दरिया के किनारे
à¤à¤• मसखरे यजमान ने
पणà¥à¤¡à¥‡ से दाग दिया à¤à¤• सवाल,
और पूà¤à¤› ही लिया
पंडित जी के सà¥à¤µà¤°à¥à¤—वासी पितरों का हाल,
मेरे पितरों का उदà¥à¤§à¤¾à¤° करने वाले शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¨
उस लोक मैं कà¥à¤¯à¤¾ है आपके पितरों का हाल,
पोथी - पतà¥à¤°à¤¾ से डरकर, जीकर या मरकर ,
रà¥à¤ªà¤¯à¤¾ दो रूपया, अनà¥à¤¨-जल, दाना - पानी
अपने पितरों को हम तो ऊपर पहà¥à¤‚चा देते ,
आप à¤à¥€ अपने पितरों को
à¤à¤¸à¤¾ ही कà¥à¤› करते हैं
या उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ यूठही टरका देते हैं,
पिंडदान मैं चढा माल
बटोरता हà¥à¤† पंडा मà¥à¤¸à¥à¤•राया
बोला हमें पà¥à¤¶à¥à¤¤à¥‹à¤‚ से
यजमानों का ही सहारा है,
इस लोक मैं हमें आपसे
उस लोक मैं हमारे बाप को
आपके पितरों से गà¥à¤œà¤¼à¤¾à¤°à¤¾ है
ऊपर माल à¤à¥‡à¤œà¤¨à¥‡ का जो चमतà¥à¤•ार
आप यहाठहमसे करा रहे हैं,
उस लोक मैं हमारे बाप
आपके पितरों को
कà¥à¤› à¤à¤¸à¥‡ ही चरा रहे हैं,
हमें à¤à¤• तरफ़ लà¥à¤Ÿà¤¾ हà¥à¤†
निरà¥à¤µà¤¿à¤•ार यजमान
दूसरी तरफ़ दरिया मैं उतराता
गिधà¥à¤§à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ नोचा जाता
निशà¥à¤šà¥‡à¤·à¥à¤Ÿ शव तो नज़र आ रहा था,
पर शव और यजमान की चेतना मैं
अनà¥à¤¤à¤° कà¥à¤¯à¤¾ है
मैं यह नहीं समठपा रहा था,
"गोपाल जी"