संदीप कुमार मिश्र :भारत आस्थाओं का देश है,परम्पराओं का देश है,जहां के कण कण में ईश्वर का वास माना जाता है।दोस्तों चलिए लेकर चलते हैं एक ऐसे मेले में जो विश्वप्रसिद्ध है।जहां से जुड़ी है अनेको मान्यताएं।
मित्रों नवरात्र के अवसर पर पंजाब के जिला अमृतसर के बड़ा हनुमान मंदिर में हर वर्ष की तरह लगने वाला विश्व प्रसिद्ध लंगूर मेला शुरू हो गया है।इस मेले में नवजात शिशु से लेकर नौजवान तक लंगूर बनते है,और पूरे दस दिनों तक ब्रह्मचर्य व्रत के साथ-साथ पूरे सात्विक जीवन को व्यतीत करते हैं।एक तरफ जहां नवरात्र की शुरूआत होते ही माता शेरावाली के दर्शन के लिए मंदिरों मे भक्तों का तांता लग जाता है तो वहीं अमृतसर के विश्व प्रसिद्ध बड़ा हनुमान मंदिर मे विशाल मेले का आयोजन होता है, इस मेले को लंगुर मेला भी कहते हैं,कहा जाता है कि इस मंदिर में श्री हनुमान जी महाराज की प्रतिमा अपने आप ही यहां पर प्रकट हुई थी।
मंदिर के पूजारी राम निवास पाठक की माने तो हनुमान जी स्वयं यहां आए थे और लव कुश नें हनुमान जी से अश्वमेध का धोड़ा छोड़ने के लिए कहा था, जिसे ना मानने पर हनुमान जी महाराज को यहीं पर वृक्ष से लवकुश ने बांध दिया था।जिसके वाद से ही नवरात्र के पावन अवसर पर हनुमान जी महाराज के भक्त यहां आते हैं।
हर साल की तरह इस साल भी लंगूरों मेला बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। इसके लिए खास तौर पर लोगों में उत्साह देखने को मिलता है। कहते हैं यहां हनुमान जी से मांगी गयी सभी मुरादें पुरी होती हैं। और जिनकी मुरादें पूरी होती है,वे यहां पर माथा टेकने के लिए जरूर पहुंचते हैं।इस मंदिर के बारे मे मान्यता ऐसी भी है कि पुत्र की प्राप्ती के लिए भक्त यहां आते हैं और जिनकी मुरादें पूरी हो जाती हैं वे अपने बच्चों को यहां लंगूर के वेश में लेकर आते हैं,और हनुमान जी के सामने माथा टेकते हैं, कुछ श्रद्धालुओ का ये भी मानना है कि उनके घर में पहले बेटी थी लेकिन उन्होंने यहां पर आकर मन्नत मांगी और मन्नत पूरी होने पर आज वह यहां दुबारा आए है। नवरात्रों में लंगूर बनाते समय भक्तों को कुछ खास नियम संयम और परहेज करने होते हैं। जैसे वह प्याज, कटी हुई चीज नहीं खा सकते हैं,और नंगे पांव रहना होता है।इन सब नियमो का पालना करने पर ही भक्तों की मन्नत पूरी होती है।
विश्वप्रसिद्ध इस लंगुर मेले में दूर-दूर से भक्त आते हैं और ढोल नगाडों की थाप पर लोग खूब नाचते गाते हैं,और खुशियां मनाते हैं।इस तरह से ये लंगुर मेला दस दिन तक अपने पूरे उत्साह और उमंगो से भरा रहता है।
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