संदीप कुमार मिश्र: हमारे सनातन धर्म में सदियों से ऋषी मुनियों के द्वारा मंत्र साधना की जाती रही है और अनवरत पूजा पाठ के साथ माला फेरने की परंपरा चल रही है।दरअसल मंत्र साधना से हमें सिद्धियां तो मिलती ही हैं साथ ही मन,चित्त एकाग्र भी रहता है।जिससे हमारा व्यक्तित्व प्रभावशाली बनता है और हममें धैर्यता,गंभीरता आती है।
मंत्र साधना के लिए हम रुद्राक्ष की माला या फिर स्फटिक और तुलसी जी की माला का प्रयोग करते हैं।हमारे द्वारा मंत्रों के जाप की संख्या को लेकर कोई त्रुटि न हो इसलिए हम माला में लगे हुये दानों का सहारा लेते हैं जिसे मनका कहा जाता है। सामान्यतः माला में 108 मनके होते हैं।
जाने कैसे करें माला से सही मंत्र जाप
सबसे पहले हमें देव स्थान पर विनम्र भाव से नतमस्तक होकर ईश्वर को प्रणाम करना चाहिए और भगवान के दर्शन के लिए अभिवादन करना चाहिए और फिर आसन ग्रहण कर परम पिता परमात्मा के समक्ष मंत्र जाप करना चाहिए।अब ये जानना भी आवश्यक है कि मंत्र जाप करते समय किन किन विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए –
माला फेरने से पहले ध्यान रखने योग्य बातें-
मंत्र जाप प्रारंब करने से पहले जमीन पर शुद्ध ऊनी आसन ही बिछाकर बैठें। बैठने की अवस्था पद्मासन या सुखासन (पालथी लगाकर)ही होनी चाहिए।कमर से झुकें नहीं,चेहरे को भी सीधा रखें।माला दाहिने हाथ की उंगलियों पर अंगूठे के पोर से फेरें।नाखून का स्पर्श माला को न हो, इसकी पूरी सावधानी रखें। प्लास्टिक की माला का प्रयोग नहीं करना चाहिए।माला फेरते समय इधर-उधर तांकझांक न करें।ध्यान केंद्रित रखें। माला नाभि से नीचे नहीं, नाक के ऊपर नहीं जानी चाहिए एवं सीने से 4 अंगुल दूर सामने रखें।जाप करते समय आंखें परमात्मा के सामने या दो भौंहों के बीच, या नाक पर रखें या फिर आंखें मूंद लें।जाप करते समय माला नीचे न गिरने दें।इस प्रकार से आस्था और विश्वास के सात माला फेरनी चाहिए।
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