Dharm/Shardiya Navratri/ Ghatasthapana: शक्ति की पूजा आराधना के महापर्व शारदीय नवरात्रि 17 अक्टूबर से प्रारंभ हो रहा है जो 25 अक्टूबर तक चलेगा। हिन्दू पंचांग और धर्म शास्त्र के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवरात्र पर्व शुरू होता है जो नवमी तिथि तक चलते हैं। नवरात्र का यह पर्व शक्ति की उपासना का त्योहार है, जिसमें मां के भक्त नौ दिनों तक मां के लिए व्रत रखते हैं और मां दुर्गा के नौ रूपों की उपासना करते हैं।
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम्।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।
उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना:।।
शारदीय नवरात्रि घटस्थापना शुभ मुहूर्त
आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन घट स्थापना,
शुभ मुहूर्त का समय-
प्रात:काल 06:27 बजे से 10:13 बजे तक
घटस्थापना के लिए अभिजित मुहूर्त
प्रात:काल 11:44 बजे से 12:29 बजे तक रहेगा।
शारदीय नवरात्रि का महत्व
हिन्दू धर्मग्रंथ एवं पुराणों के अनुसार शारदीय नवरात्रि माता दुर्गा की आराधना का श्रेष्ठ समय होता है।पावन नवरात्र के इन नौ दिनों में मां के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है, जो अपने भक्तों को खुशी, शक्ति और ज्ञान प्रदान करती है। नवरात्रि का हर दिन देवी के विशिष्ठ रूपों को समर्पित होता है और हर देवी स्वरुप की कृपा से अलग-अलग तरह के मनोरथ पूर्ण होते हैं।
कलश स्थापना की सरल विधि
कलश स्थापना के लिए सबसे पहले एक पात्र लें। उस पात्र में मिट्टी बिछाएं। फिर पात्र में रखी मिट्टी पर जौ के बीज डालकर उसके ऊपर मिट्टी डालकर उसमें थोड़े से पानी का छिड़काव करें। अब एक कलश लें और उसपर स्वस्तिक का चिन्ह बनाएं और मौली या कलावा बांधें। इसके बाद कलश को गंगाजल और शुद्ध जल से भरें। इसमें साबुत सुपारी, फूल और दूर्वा डालें। साथ ही इत्र, पंचरत्न और सिक्का भी डालें। इसके मुंह के चारों ओर आम के पत्ते लगाएं। कलश के ढक्कन पर चावल डालें। इसके बाद जगत जननी मां जगदम्बा का ध्यान करते हुए कलश का ढक्कन लगाएं।इसके बाद एक नारियल लेकर उस पर कलावा बांधें। कुमकुम से नारियल पर तिलक लगाकर नारियल को कलश के ऊपर रखें।ध्यान रखें कि नारियल को पूर्व दिशा में ही रखें।
नवरात्र पूजा सामग्री
लाल चुनरी, लाल वस्त्र, श्रृंगार का सामान, दीपक, घी/ तेल, धूप और अगरबत्ती, माचिस, चौकी, चौकी के लिए लाल कपड़ा, नारियल, कलश, चावल, कुमकुम, फूल, फूलों का हार, देवी की प्रतिमा या फोटो, पान, सुपारी, लाल झंडा, लौंग-इलायची, बताशे, कपूर, उपले, फल-मिठाई, कलावा और मेवे।
इस प्रकार से सरल और सुंदर विधि से अपने घर पर कलश स्थापित करें और नौ दिनो सपरिवार मां दुर्गा की पूजा आराधना करें।जय माता दी।