धर्म डेस्क- हमारा देश आस्थाओं का देश है।जहां हर एक त्योहार को बड़े ही श्रद्धा भाव के साथ मनाया जाता है। दशहरा यानी कि विजयादशमी मर्यादपुरुषोत्तम प्रभू श्री राम जी की विजय के रूप में मनाया जाए या फिर मां दुर्गा के रूप में। दोनों ही रूपों में यह “शक्ति पूजा का पर्व है।शस्त्र पूजन की तिथि है,यह पर्व है हर्ष का,उल्लास का,अधर्म पर धर्म के विजय का।देश के कोने-कोने में यह उत्सव विभिन्न रूपों से मनाया तो जाता ही है।साथ ही साथ दूसरे देशों में भी जहां अप्रवासी भारतीय रहते हैं।इसे उतने ही जोश और उल्लास के साथ मनाते है।
अश्विन महीने के शुक्लपक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। दशहरा तिथि विजय मुहूर्त वाली होती है, इसलिए इस तिथि को अबूझ मुहूर्त कहा जाता है। इस बार दशहरा 25 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। इस बार नवमी और दशहरा एक ही दिन मनाए जा रहे हैं। सुबह 11:14 तक नवमी के कार्य पूर्ण होंगे, उसके बाद दशहरा पर्व शुरू हो जाएगा।
इस बार दशहरा की तिथि पर किसी भी वस्तु की खरीददारी समृद्धिदायक रहेगी। 25 अक्टूबर को पुष्य योग बन रहा है, रविवार होने के कारण रविपुष्य योग भी बन रहा है। इस बार दशहरे के दिन रवि पुष्य नक्षत्र सुबह 6:20 से रात को 1.20 तक रहेगा।
कहते हैं कि इस मुहूर्त में खरीददारी से सुख समृद्धि बढ़ती है। दरअसल लंकापति रावण का वध कर भगवान राम ने दशहरे के दिन ही बुराई पर विजय हासिल की थी, इसलिए विजयदशमी के दिन को अबूझ मुहूर्त माना गया है। इसके साथ ही इस दिन लोग बच्चों का अक्षर लेखन, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण, अन्नप्राशन, कर्ण छेदन और भूमि पूजन आदि कार्य शुभ भी करवाते हैं।
विजयादशमी का शुभ मुहूर्त-
दशमी तिथि प्रारंभ - 25 अक्टूबर को सुबह 011:41 मिनट से
इस दिन पुष्य नक्षत्र सुबह 6:20 से रात को 1.20 तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 01:55 मिनट से 02 बजकर 40 तक।
अपराह्न पूजा मुहूर्त - 01:11 मिनट से 03:24 मिनट तक।
दशमी तिथि समाप्त - 26 अक्टूबर को सुबह 08:59 मिनट तक रहेगी।
नवरात्रि के नौ दिनो तक उपवास,व्रत पूजन की पावन परंपरा के पूर्णाहुति का दिन है विजयादशमी।शौर्य का यह पावन पर्व विजयादशमी,नौ दिनों की नवरात्र के उमंग के इस दिन को दशहरा कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि आश्विन शुक्लदशमी को तारा उदय होने के समय ‘विजय’ नामक मुहूर्त होता है।यह काल सर्वकार्य सिद्धिदायक माना जाता है।
दशहरा का पर्व दस प्रकार के पापों....काम, क्रोध,लोभ,मोह,मद,मत्सर,अहंकार,आलस्य, हिंसा और चोरी के परित्याग की हमें शक्ति और प्रेरणा प्रदान करता है।
श्री रामचन्द्रजी महाराज ने “शारदीय नवरात्रि पूजा का प्रारंभ समुद्र तट पर किया और उसके बाद दसवें दिन लंका पर विजय प्राप्त की। तभी से ये दिन बन गया असत्य पर सत्य, अधर्म पर धर्म की जीत का दिन। इस दिन भगवान् राम ने दुष्ट रावण का अंत कर पृथ्वीवासीयों, देवताओं को राक्षसों के अत्याचार से भयहीन किया।
जीवन सफलता के नए आयाम को छूने के लिए मर्यादापुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का हमें अनुसरण करना चाहिए।क्योंकि एक मनुष्य जब अपनी पूरी गरिमा के साथ, पूरी मर्यादा के साथ, अपने पूरे स्वभाव के साथ उपस्थित होता है तो वह राम है। राम हमारी सभ्यता संस्कृति के एक ऐसे आदर्श है, जिसने प्रेम, सत्यता और कर्तव्य के अनोखे प्रतिमान स्थापित किए। जिसके सामने आज सदियों बाद भी सम्पूर्ण भारतीय जनमानस नतमस्तक है।प्रभू श्री राम आप की सभी मनोंकामनाओं को पूरा करें। शक्ति की उपासना का ये पावन पर्व नवरात्र और विजयादशमी आपके जीवन में हर प्रकार की सफलता लेकर आए।आप नितनई उंचाईयों का वरण करे।साथ ही समाज के प्रति अपने दायित्वों का निर्वाह करें।जय श्री राम।