Ahoi Ashtami 2020: जानिए अहोई अष्टमी व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि

 

Dharm Desk/Ahoi Ashtami 2020:  संतान रक्षिणी देवी अहोई माता। अहोई अष्टमी व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इस दिन समस्त माताएं अपनी संतान की उन्नति और कल्याण के लिए अहोई व्रत रखती हैं।चलिए जानते हैं कि अहोई अष्टमी व्रत का क्या है विधान।क्या है अहोई अष्टमी की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा, विधि।

आपबको बता दें कि अहोई अष्टमी व्रत करवा चौथ व्रत के ही समान है।इसमें अंतर सिर्फ इतना है कि करवा चौथ व्रत पति के लिए रखा जाता है और वहीं अहोई अष्टमी का व्रत संतान के लिए रखा जाता है। अहोई अष्टमी के दिन माताएं सूर्योदय से पूर्व जागकर निर्यकर्म से निवृत्त होने के बाद अपनी संतानों की दीर्घ तथा मंगलमय जीवन के लिए व्रत श्रद्धा से पूर्ण करने का संकल्प लेती हैं। इस दिन माताओं को बिना अन्न-जल ग्रहण किए बिना व्रत करना होता है और चंद्रमा क दर्शन के बाद ही अहोई अष्टमी के व्रत का समापन होता है ।

अहोई अष्टमी व्रत,तिथि 2020

अहोई अष्टमी व्रत रविवार, 08 नवंबर 2020 को मनाया जाएगा

अहोई अष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त- शाम 05:19 बजे से शाम 06:37 बजे तक

पूजा की अवधि- 01 घंटा, 18 मिनट

गोवर्धन राधाकुण्ड स्नान-रविवार 08 नवंबर 2020

तारों के दर्शन का समय- शाम 05:43 बजे

चंद्रोदय का समय- रात्रि 11:44 बजे

अष्टमी तिथि प्रारंभ- 08 नवंबर 2020, दिन रविवार सुबह 07:29 बजे से

अष्टमी तिथि समाप्त-09 नवंबर 2020, दिन सोमवार सुबह 06:50 बजे

अहोई अष्टमी पूजा विधि-

आपको बता दें कि अहोई अष्टमी पूजा की तैयारियां सूर्यास्त से पूर्व ही संपन्न हो जानी चाहिए।इसके लिए सबसे पहले दीवार पर अहोई माता का चित्र बनाएं और लकड़ी की चौकी पर माता अहोई के चित्र के बांयी तरफ पानी से भरा पवित्र कलश रखें फिर कलश पर स्वस्तिक का चिन्ह बनाकर मौली बांधें। इसके बाद अहोई माता को हलवा, पूरी तथा पुआ युक्त भोजन जिसे वायना भी कहा जाता है अर्पित करें। अनाज जैसे ज्वार अथवा भोजन (सीधा) भी मां को पूजा के दौरान अर्पित करें। परिवार की सबसे बड़ी महिला परिवार की सभी महिलाओं को अहोई अष्टमी की कथा का सुनाएं।इस कथा को सुनते समय सभी महिलाओं को अनाज के सात दाने हाथ में रखने चाहिए।

अंत में अहोई अष्टमी की आरती करें। पूजा संपन्न होने के बाद महिलाएं अपने परिवार की परंपरा के अनुसार पवित्र कलश में से चंद्रमा अथवा तारों को अर्घ्य दें और तारों के दर्शन से अथवा चंद्रोदय के पश्चात अहोई माता का व्रत संपन्न करें।जय अहोई माता।

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