Dharm Desk/ Putrada Ekadashi 2021: सभी एकादशशियों में पुत्रदा एकादशी का विशेष स्थान है. मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से योग्य संतान की प्राप्ति होती है. इस दिन सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्णु की आराधना की जाती है.
हिन्दू धर्म में पौष पुत्रदा एकादशी का विशेष महत्व है. हिन्दू पंचांग के अनुसार, साल में 24 एकादशीयां पड़ती हैं, जिनमें से दो को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है. पुत्रदा एकादशी श्रावण और पौष शुक्ल पक्ष में पड़ती हैं. दोनों ही एकादशियों का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से संतान की प्राप्ति होती है. आपको बता दें कि हिन्दू पंचांग की 11वीं तिथि को एकादशी कहते हैं. यह तिथि एक महीने में दो बार आती है. पूर्णिमा के बाद और अमावस्या के बाद. पूर्णिमा के बाद आने वाली एकादशी को कृष्ण पक्ष की एकादशी और अमावस्या के बाद आने वाली एकादशी को शुक्ल पक्ष की एकादशी कहते हैं.
पुत्रदा एकादशी कब है?
अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार पौष शुक्ल पक्ष की पुत्रदा एकादशी दिसंबर या जनवरी महीने में आती है. इस बार यह एकादशी 24 जनवरी 2021 को है.
पुत्रदा एकादशी की तिथि और मुहूर्त
पौष पुत्रदा एकादशी की तिथि: 24 जनवरी 2021
एकादशी तिथि प्रारम्भ: 23 जनवरी 2021 को शाम 8:56 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त: 24 जनवरी 2021 को रात्रि 10:57 मिनट तक
पारण (व्रत तोड़ने का) की तिथि और समय: 25 जनवरी 2021 को सुबह 7:13 मिनट से 9:21 मिनट तक
पुत्रदा एकादशी का महत्व
सभी एकादशियों में पुत्रदा एकादशी का विशेष स्थान है. मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से योग्य संतान की प्राप्ति होती है. इस दिन सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्णु की आराधना की जाती है. कहते हैं कि जो भी भक्त पुत्रदा एकादशी का व्रत पूरे तन, मन और जतन से करते हैं उन्हें संतान रूपी रत्न मिलता है. ऐसा भी कहा जाता है कि जो कोई भी पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा पढ़ता है, सुनता है या सुनाता है उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है.
पुत्रदा एकादशी की व्रत विधि
- एकादशी के दिन सुबह उठकर भगवान विष्णु का स्मरण करें.
- फिर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
- अब घर के मंदिर में श्री हरि विष्णु की मूर्ति या फोटो के सामने दीपक जलाकर व्रत का संकल्प लें और कलश की स्थापना करें.
- अब कलश में लाल वस्त्र बांधकर उसकी पूजा करें.
- भगवान विष्णु की प्रतिमा या फोटो को स्नान कराएं और वस्त्र पहनाएं.
- अब भगवान विष्णु को नैवेद्य और फलों का भोग लगाएं.
- इसके बाद विष्णु को धूप-दीप दिखाकर विधिवत् पूजा-अर्चना करें और आरती उतारें.
- पूरे दिन निराहार रहें. शाम के समय कथा सुनने के बाद फलाहार करें.
- दूसरे दिन ब्राह्मणों को खाना खिलाएं और यथा सामर्थ्य दान देकर व्रत का पारण करें.
पुत्रदा एकादशी के नियम
- जो लोग पुत्रदा एकादशी का व्रत करना चाहते हैं उन्हें एक दिन पहले यानी कि दशमी के दिन से व्रत के नियमों का पालन करना चाहिए.
- दशमी के दिन सूर्यास्त के बाद भोजन ग्रहण न करें और रात में सोने से पहले भगवान विष्णु का ध्यान करें.
- व्रत के दिन पानी में गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए.
- दशमी और एकादशी के दिन मांस, लहसुन, प्याज, मसूर की दाल का सेवन वर्जित है.
- रात्रि को पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए तथा भोग-विलास से दूर रहना चाहिए.
- एकादशी के दिन गाजर, शलजम, गोभी और पालक का सेवन न करें.