धर्म डेस्क: सनातन हिंदू धर्म में मकर संक्रांति के त्योहार का बड़ा ही विशेष महत्व है। इस दिन सनातन मतावलंबी भक्ति-भाव से भगवान सूर्य की उपासना करते हैं, और हर्षोउल्लास के साथ पतंग भी उड़ाते हैं। मकर संक्रांति के दिन भारत के अधिकांश हिस्सों में पतंगबाजी की जाती है। जिसके पीछे एक खास धार्मिक कारण ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक पक्ष भी छिपे हुए हैं।
चलिए जानते हैं इस दिन पतंग उड़ाने के ऐसे ही कुछ खास कारण और उससे मिलने वाले लाभ के बारे में-
-मकर संक्रांति पर सूर्य उत्तरायण का होता है, जिसकी वजह से सूर्य की किरणें व्यक्ति के लिए औषधि का काम करती हैं। सर्दी के मौसम में व्यक्ति के शरीर में कफ,पित्त की मात्रा बढ़ जाती है। साथ ही त्वचा में भी रुखापन आने लगता है। ऐसे में छत पर खड़े होकर पतंग उड़ाने से इन समस्याओं से राहत मिलती है।
वहीं पतंग उड़ाते समय व्यक्ति का शरीर सीधे सूर्य की किरणों के संपर्क में आता है, जिससे उसे सर्दी से जुड़ी कई शारीरिक समस्याओं से निजात मिलने के साथ विटामिन डी भी पर्याप्त मात्रा में मिलता है। मेडिकल साइंस में, विटामिन डी शरीर के लिए बेहद आवश्यक है जो शरीर के लिए जीवनदायिनी शक्ति की तरह काम करता है।
वैज्ञानिक तथ्यों के अनुसार, उत्तरायण में सूर्य की गर्मी शीत के प्रकोप व शीत के कारण होने वाले रोगों को समाप्त करने की क्षमता रखती है। ऐसे में घर की छतों पर जब लोग पतंग उड़ाते हैं तो सूरज की किरणें एक औषधि की तरह काम करती हैं।
पतंगबाजी करने से दिमाग सदैव सक्रिय बना रहता है। इससे हाथ और गर्दन की मांसपेशियों में लचीलापन आता है। साथ ही मन-मस्तिष्क प्रसन्न रहता है क्योंकि इससे गुड हार्मोंस का बहाव बढ़ता है। पतंग उड़ाते समय आंखों की भी एक्सरसाइज होती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीराम ने की थी पतंग उड़ाने की शुरुआत -
धर्म पुराणों में ऐसा वर्ण मिलता है कि मकर संक्रांति पर पहली बार पतंग उड़ाने की परंपरा सबसे पहले भगवान श्रीराम ने शुरु की थी। दक्षिण भारत के तमिल की तन्दनानरामायण के अनुसार भगवान राम ने जो पतंग उड़ाई थी वह स्वर्गलोक में इंद्र के पास जा पहुंची थी। भगवान राम द्वारा शुरू की गई इसी परंपरा को तब से लेकर आज तक निरंतर उत्साह और उल्लास के साथ भी मकर संक्रांति के पावन अवसर पर पतंगबाजी की जाती है।
आप सभी मकर संक्रांति पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई