धर्म डेस्क/पौष पूर्णिमा2021: पौष पूर्णिमा का सनातन हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। पौष पूर्णिमा को हिन्दू कैलेंडर में सबसे पवित्र दिनों में से एक माना जाता है। मोक्ष की कामना रखने वालों के लिए इस दिन को बेहद खास माना गया है। पौष पूर्णिमा की तिथि को सूर्य और चंद्रमा का संगम भी कहा जाता है, क्योंकि पौष का महीना सूर्य देव का माह होता है और पूर्णिमा चंद्रमा की तिथि है।
इसके बाद माघ महीने की शुरुआत होती है। माघ महीने में किए जाने वाले स्नान की शुरुआत भी पौष पूर्णिमा से ही हो जाती है। मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन विधिपूर्वक प्रात:काल स्नान करता है वह मोक्ष का अधिकारी होता है। उसे जन्म-मृत्यु के चक्कर से छुटकारा मिल जाता है। पौष पूर्णिमा से करीब चार दिन पहले ही पुत्रदा एकादशी व्रत के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
।।नव वर्ष 2021 में पौष पूर्णिमा 28 जनवरी, गुरुवार को है।।
पौष पूर्णिमा व्रत मुहूर्त 2021
जनवरी 28, 2021 को 01:18:48 से पूर्णिमा आरम्भ
जनवरी 29, 2021 को 00:47:17 पर पूर्णिमा समाप्त
पौष पूर्णिमा व्रत पूजा विधि
- पौष पूर्णिमा के दिन प्रातःकाल स्नान से पहले व्रत का संकल्प लें।
- पवित्र नदी या कुंड में स्नान करें और स्नान से पूर्व वरुण देव को प्रणाम करें।
- स्नान के पश्चात सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए।
- स्नान से करने के बाद भगवान मधुसूदन की पूजा करनी चाहिए।
- किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराकर दान-दक्षिणा दें।
- दान में तिल, गुड़, कंबल और ऊनी वस्त्र विशेष रूप से दें।
पौष पूर्णिमा का महत्व
सनातन वैदिक ज्योतिष और धर्म के अनुसार पौष माह सूर्य देव की उपासना का माह कहलाता है। ऐसी मान्यता है कि पौष माह में सूर्य देव की उपासना, आराधना से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। पौष पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान और सूर्य देव को अर्घ्य देने की परंपरा का विधान सनातन धर्म में बताया गया है। इस विशेष अवसर पर काशी, प्रयागराज और हरिद्वार में गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। पौष पूर्णिमा की तिथि को ही सूर्य और चंद्रमा का अद्भूत संगम होता है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों के पूजन से मनोकामनाएं पूर्ण होती है और जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
पौष पूर्णिमा को शाकंभरी जयंती मनाई जाती है।इस दिन जैन धर्म के लोग पुष्याभिषेक यात्रा निकालते हैं वहीं छत्तीसगढ में आदिवासी ग्रामीण ‘छेरता पर्व’के रुप में मनाते हैं।