धर्म डेस्क- हमारा देश भारत सनातन संस्कृति और आस्थाओं का देश है।जहां तीज त्योहार,व्रत पूजा का विशेष महत्व है।बात करें एकादशी की तो भगवान श्रीहरि विष्णु जी का ये व्रत अतिविशेष फलदायी है। हिन्दू मान्यतानुसार प्रत्येक माह में दो एकादशियां होती है। एक कृष्ण पक्ष की और एक शुक्ल पक्ष की। सभी एकादशियों का विशेष महत्व है।लेकिन चैत्र माह की एकादशी अन्य सभी एकदाशियों से प्रमुख और उत्तम मानी गई है।ऐसा कहा जाता है कि चैत्र माह में पड़ने वाली एकादशी मनुष्यों को उनके पापों से मुक्त कराती है। इसलिए इसे पापमोचनी एकादशी कहा जाता है।
पापमोचनी एकदशी का अर्थ इसके नाम से ही ज्ञात होता है। यह दो शब्दों से मिलकर बनी है। ‘पाप’ यानी की दुष्ट कर्म, गलती और ‘मोचनी’ यानी मुक्ति, छुड़ाने वाली। अर्थात पापमोचनी एकादशी का मूल अर्थ हुआ हर तरह के पाप से मुक्ति दिलाने वाली। इस दिन व्रत करने से सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है। पापमोचनी एकादशी का व्रत करने से बड़े से बड़ा पाप, कष्ट, विपदा नष्ट हो जाती है। इस व्रत में भी भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
चलिए अब जानते हैं कि 2021 में पापमोचनी एकादशी कब है और क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त-
पापमोचनी एकादशी व्रत 2021 मुहूर्त
बुधवार, 7 अप्रैल, 2021
पापमोचनी एकादशी पारणा मुहूर्त : 01:39:14 से 04:10:59 तक 8 अप्रैल को
पारण अवधि : 2 घंटे 31 मिनट
हरि वासर समाप्त होने का समय : 08:42:30 पर 8, अप्रैल को
पापमोचनी एकादशी व्रत पूजा विधि
सूर्योदय काल में स्नान करने के पश्चात् अपने व्रत का संकल्प करें।
उसके बाद भगवान विष्णु जी की षोडशोपचार विधि से पूजा करें और पूजन पूर्ण होने के पश्चात् भगवान श्री हरि विष्णु जी को चंदन, दीप, धूप और फल आदि अर्पित करके आरती करें।
इस दिन गरीब निर्धन व्यक्ति व ब्राह्मणों को दान और भोजन अवश्य कराएं।
इस दिन पर रात्रि के समय में निराहार(भूखे) रहकर जागरण करें और अगले दिन द्वादशी पर पारण के पश्चात् अपना व्रत खोले।
पापमोचनी एकादशी व्रत करने से सभी पापों का अंत होता है और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
एकादशी तिथि को जागरण करने से कई गुना पुण्य भी मिलता है।
एकादशी दिन झूठ बोलने से बचना चाहिए और किसी की निंदा नहीं करनी चाहिए।
पापमोचनी एकादशी के उपवास को करने से उपासक को ब्रह्महत्या, अहिंसा, मदिरापान, स्वर्ण चोरी और भ्रूणघात समेत कई संगीन पापों के दोष से मुक्ति मिलती है।
एकादशी व्रत का महत्व
एकादशी व्रत जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा के लिए समर्पित होता है। एकादशी के दिन व्रत रखने के साथ ही भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा की जाती है और एकादशी व्रत की कथा सुनी जाती है। एकादशी व्रतों के प्रभाव से व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं, मोक्ष की प्राप्ति होती है। एकादशी व्रत सभी सुखों को देने वाले माने गए हैं। एकादशी व्रत करने से व्यक्ति को भगवान विष्णु की कृपा भी प्राप्त होती है।