'ऊं भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्।।'
Dharm Desk//tbc: हिंदू पंचांग के अनुसार गायत्री जयंती श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाई जाएगी। कहा जाता है कि वेदों की माता वेद माता गायत्री इस दिन धरती पर दिखाई दीं,इसीलिए इस दिन गायत्री जयंती मनाई जाती है। यही कारण है कि इस त्यौहार को सनातन हिंदू धर्म के अनुयायी बड़ी धूमधाम के साथ मनाते हैं। ऐसी मान्यता है कि ऋषि विश्वामित्र जी ने इस दिन पहली बार गायत्री मंत्र का उच्चारण किया था।
वेद माता गायत्री की पूजा आराधना पूण्यफलदायी है।जिस घर में माता गायत्री की भक्तिभाव के साथ पूजा होती है उस घर में सुख शांति का वास होता है और समृद्धि, स्वास्थ्य और सफलता के साथ आध्यात्मिक और सांसारिक खुशी से मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है । इस साल गायत्री जयंती 20 जून को गंगा दशहरा के दिन मनाया जाएगा। वेद माता गायत्री हिन्दू भारतीय संस्कृति की जन्मदात्री हैं। माता गायत्री से ही चारों वेदों की उत्पति मानी जाती हैं। इसलिए वेदों का सार भी गायत्री मंत्र को माना जाता है। मान्यता है कि चारों वेदों का ज्ञान लेने के बाद जिस पुण्य की प्राप्ति होती है अकेले गायत्री मंत्र को समझने मात्र से चारों वेदों का ज्ञान प्राप्त हो जाता है।
वेद माता गायत्री को ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं की आराध्य भी माना जाता है। इसलिए इन्हें देवमाता कहा गया है ।वहीं समस्त ज्ञान की देवी होने के कारण इन्हें ज्ञान-गंगा भी कहा जाता है। इन्हें भगवान ब्रह्मा की दूसरी पत्नी भी माना जाता है। मां पार्वती, सरस्वती, लक्ष्मी की अवतार भी माता गायत्री को ही कहा जाता है ।
ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के आदि में ब्रह्मा जी पर गायत्री मंत्र प्रकट हुआ। मां गायत्री की कृपा से ब्रह्मा जी ने गायत्री मंत्र की व्याख्या अपने चारों मुखों से चार वेदों के रूप में की। धर्मशास्त्रों में वर्णन मिलता है कि आरंभ में गायत्री सिर्फ देवताओं तक सीमित थीं लेकिन जिस प्रकार भगीरथ ने गंगा मैया को स्वर्ग से धरती पर उतार लाए उसी तरह विश्वामित्र जी ने भी कठोर साधना कर मां गायत्री की महिमा अर्थात गायत्री मंत्र को सर्वसाधारण तक पहुंचाया।
महाभारत के रचयिता वेद व्यास जी कहते हैं जैसे फूलों में शहद, दूध में घी सार रूप में होता है वैसे ही समस्त वेदों का सार गायत्री है। यदि गायत्री को सिद्ध कर लिया जाए तो यह कामधेनु के समान है। जैसे गंगा शरीर के पापों को धो कर तन मन को निर्मल करती है उसी प्रकार गायत्री रूपी ब्रह्म गंगा से आत्मा पवित्र हो जाती है।गायत्री मंत्र से बढ़कर पवित्र करने वाला मंत्र और कोई नहीं है। कहा जाता है कि जो मनुष्य नियमित रूप से गायत्री मंत्र का जप करता है वह समस्त पापों से वैसे ही मुक्त हो जाता है जैसे केंचुली से छूटने पर सांप होता है।
।।आप सभी को वेद माता गायत्री की जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं व बधाई।।