Dharm Desk/tbc/ Pradosh Vrat date 2021: सनातन हिंदू धर्म संस्कृति में प्रत्येक माह व हर तिथि का अपना विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार प्रत्येक तिथि किसी न किसी भगवान को समर्पित होती है। सनातन हिंदू धर्म में त्रयोदशी को भी शुभ माना गया है। त्रयोदशी का दिन आदिदेव भगवान शिव को समर्पित होता है। इस विशेष दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। आपको बता दें कि प्रत्येक माह त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। हर माह में दो त्रयोदशी पड़ती हैं एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में। हिन्दू पंचांग के अनुसार इस समय भाद्रपद माह का कृष्ण पक्ष चल रहा है।
कृष्ण पक्ष में त्रयोदशी तिथि 4 सितबंर को है और इसी दिन प्रदोष व्रत किया जाएगा। 4 सितंबर 2021 को इस बार शनिवार पड़ रहा है, इसलिए इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाएगा. इस दिन प्रदोष काल में विधिवत तरीके से भगवान शिव की पूजा की जाती है। चलिए जानते हैं प्रदोष व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में-
हिन्दू पंचाग के अनुसार भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की त्रियोदशी को प्रदोष व्रत किया जाता है। इस बार ये व्रत 4 सितंबर, शनिवार को किया जाएगा-
त्रयोदशी तिथि का आरंभ- 4 सितंबर की सुबह 8 बजकर 24 मिनट पर
त्रयोदशी तिथि का समाप्त-5 सितंबर, रविवार को 8 बजकर 21 मिनट पर
4 सितंबर को भाद्रपद मास का पहला प्रदोष व्रत रखा जाएगा। प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में ही की जाती है। प्रदोष काल सूर्यास्त से 45 मिनट पहले शुरू हो जाता है। इस काल में ही इस व्रत की पूजा की जानी चाहिए। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 2 घंटे और 16 मिनट का है।
जाने प्रदोष व्रत पूजा विधि
प्रदोष व्रत के दिन आदिदेव महादेव भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस दिन व्रती प्रात: जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करे साथ ही घर के मंदिर में दीपक जलाएं। यदि आप व्रत रखना चाहते हैं तो व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान शिव का गंगाजल से अभिषेक करें और पुष्प अर्पित करें। भगवान शिव के साथ-साथ माता पार्वती और गणेश जी की पूजा करें। किसी भी शुभ कार्य और पूजन से पहले भगवान गजानन श्रीगणेश की पूजा करें । पूजा के बाद भगवान को सात्विक भोजन से भोग लगाएं और शिव की आरती करें।
प्रदोष व्रत की पूजन सामग्री
प्रदोष व्रत की पूजा करने से पहले थाली में पूजन सामग्री इक्ट्ठी कर लें. थाली में अबीर, फल, गुलाल, अगरबत्ती, चंदन, कपूर, अक्षत, कलावा, धतूरा, फूल, जनेऊ, बिल्वपत्र आदि रखें। पूजन के समय सारा समय भगवान शिव को अर्पित करें और भगवान की अराधना करें।
प्रदोष व्रत के दिन सूर्यास्त के बाद तथा रात्रि से पूर्व प्रदोष काल में भगवान शिव तथा माता पार्वती की विधि विधान से पूजा की जाती है। इस दिन शिव परिवार की आराधना करना कल्याणकारी होता है। प्रदोष व्रत के दिन शिव चालीसा, शिव पुराण तथा शिव मंत्रों का जाप करना उत्तम माना जाता है।