जनकसुता जग जननी जानकी।
अतिसय प्रिय करुनानिधान की॥
जनक नंदिनी माता सीता की पूजा तो नित्य निरंतर भक्त करते ही हैं...लेकिन सीता नवमी के दिन माता सीता की पूजा का विशेष महत्व होता है,क्योंकि आज के दिन "जनकदुलारी रामभार्या धरतीसुता श्रीजानकी जू के प्राकट्योत्सव का पावन दिन होता है...इस वर्ष 2022 में सीता नवमी 10 मई यानी आज मनाई जा रही है.... यह तिथि हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है... यह तिथि रामनवमी के लगभग एक महीने बाद आती है...
चलिए जानते हैं सीता जयंती का शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि के बारे में-
सीता नवमी तिथि आरंभ एवं समापन
सीता नवमी तिथि आरंभ: 09 मई, सोमवार शाम 06:32 मिनट से
सीता नवमी तिथि का समापन: 10 मई, मंगलवार शाम 07:24 मिनट पर
उदयातिथि के आधार पर सीता नवमी या जानकी जयंती 10 मई को मनाई जाएगी.
सीता नवमी पूजा का शुभ मुहूर्त
सीता नवमी पूजा का शुभ मुहूर्त: 10 मई, मंगलवार प्रातः 10: 57 मिनट से दोपहर 01:39 मिनट तक
सीता नवमी का क्षण: 12:18 मिनट पर
शुभ मुहूर्त अवधि: कुल 02 घण्टा 42 मिनट
पूजा विधि
– सीता नवमी के दिन सुबह उठकर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं.
– भगवान राम और माता सीता की प्रतिमा को गंगा जल से स्नान कराएं.
– इसके पश्चात पूजा स्थल या मंदिर में विधि पूर्वक माता सीता और भगवान राम की पूजा करें.
– अब माता सीता के सामने घी का दीपक जलाते हुए दोनों हाथ जोड़कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें.
– भगवान राम और माता सीता की आरती करें और उन्हें भोग अर्पित करें.
सीता नवमी व्रत का महत्व
माता सीता के प्राकट्य के उपलक्ष्य में सीता नवमी मनाई जाती है. कहते हैं सुहागिन महिलाएं इस व्रत रख कर माता सीता की पूजा करती हैं. पौराणिक कथा के अनुसार एक बार राजा जनक अपने खेतों में हल चला रहे थे, तभी राजा जनक को माता सीता पुत्री के रूप में प्राप्त हुईं.
भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता की आदर्श नारी की प्रतिमूर्ति त्याग, प्रेम, धैर्य, करुणा, और संयम की अधिष्ठात्री देवी माता सीता के जन्मोत्सव जानकी नवमी की आप सबको हार्दिक शुभकामनाएं!