आचार्य चाणक्य एक महान विद्वान् थे जिनकी नीतियों पर चल कर कई साम्राज्य स्थापित हुए. आइये आज हम उनके अनमोल विचारों को जानते हैं.
1. कोई काम शुरू करने से पहले, स्वयं से तीन प्रश्न कीजिये – मैं ये क्यों कर रहा हूँ, इसके परिणाम क्या हो सकते हैं और क्या मैं सफल होऊंगा. और जब गहराई से सोचने पर इन प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर मिल जायें, तभी आगे बढिए.
2. व्यक्ति अकेले पैदा होता है और अकेले मर जाता है; और वो अपने अच्छे और बुरे कर्मों का फल खुद ही भुगतता है; और वह अकेले ही नर्क या स्वर्ग जाता है.
3. भगवान मूर्तियों में नहीं है. आपकी अनुभूति आपका इश्वर है. आत्मा आपका मंदिर है.
4. अगर सांप जहरीला ना भी हो तो उसे खुद को जहरीला दिखाना चाहिए
5. इस बात को व्यक्त मत होने दीजिये कि आपने क्या करने के लिए सोचा है, बुद्धिमानी से इसे रहस्य बनाये रखिये और इस काम को करने के लिए दृढ रहिये.
6. शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है. एक शिक्षित व्यक्ति हर जगह सम्मान पाता है. शिक्षा सौंदर्य और यौवन को परास्त कर देती है.
7. जैसे ही भय आपके करीब आये, उस पर आक्रमण कर उसे नष्ट कर दीजिये.
8. किसी मूर्ख व्यक्ति के लिए किताबें उतनी ही उपयोगी हैं जितना कि एक अंधे व्यक्ति के लिए आईना
9. जब तक आपका शरीर स्वस्थ और नियंत्रण में है और मृत्यु दूर है, अपनी आत्मा को बचाने कि कोशिश कीजिये; जब मृत्यु सर पर आजायेगी तब आप क्या कर पाएंगे?
10. कोई व्यक्ति अपने कार्यों से महान होता है, अपने जन्म से नहीं.
11. सर्प, नृप, शेर, डंक मारने वाले ततैया, छोटे बच्चे, दूसरों के कुत्तों, और एक मूर्ख: इन सातों को नीद से नहीं उठाना चाहिए.
12. जिस प्रकार एक सूखे पेड़ को अगर आग लगा दी जाये तो वह पूरा जंगल जला देता है, उसी प्रकार एक पापी पुत्र पुरे परिवार को बर्वाद कर देता है.
13. सबसे बड़ा गुरु मन्त्र है : कभी भी अपने राज़ दूसरों को मत बताएं. ये आपको बर्वाद कर देगा.
14. पहले पांच सालों में अपने बच्चे को बड़े प्यार से रखिये. अगले पांच साल उन्हें डांट-डपट के रखिये. जब वह सोलह साल का हो जाये तो उसके साथ एक मित्र की तरह व्यवहार करिए. आपके वयस्क बच्चे ही आपके सबसे अच्छे मित्र हैं.
15. फूलों की सुगंध केवल वायु की दिशा में फैलती है. लेकिन एक व्यक्ति की अच्छाई हर दिशा में फैलती है.
16. दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति नौजवानी और औरत की सुन्दरता है.
17. हमें भूत के बारे में पछतावा नहीं करना चाहिए, ना ही भविष्य के बारे में चिंतित होना चाहिए; विवेकवान व्यक्ति हमेशा वर्तमान में जीते हैं.
18. हर मित्रता के पीछे कोई ना कोई स्वार्थ होता है. ऐसी कोई मित्रता नहीं जिसमे स्वार्थ ना हो. यह कड़वा सच है.
19. वेश्याएं निर्धनों के साथ नहीं रहतीं, नागरिक कमजोर संगठन का समर्थन नहीं करते, और पक्षी उस पेड़ पर घोंसला नहीं बनाते जिस पे फल ना हों.
20. सांप के फन, मक्खी के मुख और बिच्छु के डंक में ज़हर होता है; पर दुष्ट व्यक्ति तो इससे भरा होता है.
21. वह जो अपने परिवार से अत्यधिक जुड़ा हुआ है, उसे भय और चिंता का सामना करना पड़ता है, क्योंकि सभी दुखों कि जड़ लगाव है. इसलिए खुश रहने कि लिए लगाव छोड़ देना चाहिए.
22. वह जो हमारे चिंतन में रहता है वह करीब है, भले ही वास्तविकता में वह बहुत दूर ही क्यों ना हो; लेकिन जो हमारे ह्रदय में नहीं है वो करीब होते हुए भी बहुत दूर होता है.
23. अपमानित हो के जीने से अच्छा मरना है. मृत्यु तो बस एक क्षण का दुःख देती है, लेकिन अपमान हर दिन जीवन में दुःख लाता है.
24. कभी भी उनसे मित्रता मत कीजिये जो आपसे कम या ज्यादा प्रतिष्ठा के हों. ऐसी मित्रता कभी आपको ख़ुशी नहीं देगी.
25. जब आप किसी काम की शुरुआत करें, तो असफलता से मत डरें और उस काम को ना छोड़ें. जो लोग ईमानदारी से काम करते हैं वो सबसे प्रसन्न होते हैं.
26. सेवक को तब परखें जब वह काम ना कर रहा हो, रिश्तेदार को किसी कठिनाई में, मित्र को संकट में, और पत्नी को घोर विपत्ति में.
27. संतुलित दिमाग जैसी कोई सादगी नहीं है, संतोष जैसा कोई सुख नहीं है, लोभ जैसी कोई बीमारी नहीं है, और दया जैसा कोई पुण्य नहीं है.
28. यदि किसी का स्वभाव अच्छा है तो उसे किसी और गुण की क्या जरूरत है ? यदि आदमी के पास प्रसिद्धि है तो भला उसे और किसी श्रृंगार की क्या आवश्यकता है.
29. हे बुद्धिमान लोगों ! अपना धन उन्ही को दो जो उसके योग्य हों और किसी को नहीं. बादलों के द्वारा लिया गया समुद्र का जल हमेशा मीठा होता है.
30. पृथ्वी सत्य की शक्ति द्वारा समर्थित है; ये सत्य की शक्ति ही है जो सूरज को चमक और हवा को वेग देती है; दरअसल सभी चीजें सत्य पर निर्भर करती हैं.
31. वो जिसका ज्ञान बस किताबों तक सीमित है और जिसका धन दूसरों के कब्ज़े मैं है, वो ज़रुरत पड़ने पर ना अपना ज्ञान प्रयोग कर सकता है ना धन.
32. जो सुख-शांति व्यक्ति को आध्यात्मिक शान्ति के अमृत से संतुष्ट होने पे मिलती है वो लालची लोगों को बेचैनी से इधर-उधर घूमने से नहीं मिलती.
33. एक अनपढ़ व्यक्ति का जीवन उसी तरह से बेकार है जैसे की कुत्ते की पूँछ, जो ना उसके पीछे का भाग ढकती है ना ही उसे कीड़े-मकौडों के डंक से बचाती है.
34. एक उत्कृष्ट बात जो शेर से सीखी जा सकती है वो ये है कि व्यक्ति जो कुछ भी करना चाहता है उसे पूरे दिल और ज़ोरदार प्रयास के साथ करे.
35. सारस की तरह एक बुद्धिमान व्यक्ति को अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण रखना चाहिए और अपने उद्देश्य को स्थान की जानकारी, समय और योग्यता के अनुसार प्राप्त करना चाहिए.
36. जो लोग परमात्मा तक पहुंचना चाहते हैं उन्हें वाणी, मन, इन्द्रियों की पवित्रता और एक दयालु ह्रदय की आवश्यकता होती है.
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