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मैया के दरबार की महिमा अपरम्पार,




हर पल भक्तों के ऊपर, बरसे है माँ का प्यार ।।

तर्ज – देनो हो तो दीजिए।

बूढ़े बालक नर और नारी, माँ के दर पर आते हैं,
खाली झोली लेकर आते, भर-भर झोली जाते हैं,
जो मांगो सो मिल जाये, माँ देने को तैयार ।। १ ।।

सारे जग की ये सेठाणी, सब बच्चों की माता है,
देती है चुपचाप सभी को, पता नहीं चल पाता है,
वो दोनों हाथ लुटाये, और भरा रहे भण्डार ।। २ ।।

सच्चे मन से सुमिरन करले, तेरी सुणायी कर लेगी,
मन की पीड़ा मां से कहदे, सारे संकट हर लेगी,
क्यों घबराता है ‘बिन्नू’, तूं आजा माँ के द्वार ।। ३ ।।