Jeevan Parichay

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देवी कृष्णप्रिया जी (Devi Krishna Priya Ji) – एक ऐसा नाम जो हर किसी के दिल में श्रद्धा और प्रेरणा का संचार करता है। मात्र 27 वर्ष की आयु में इन्होंने अपने ज्ञान और आध्यात्मिक शक्ति से पूरे देश में एक अलग पहचान बनाई है। इनका जन्म भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) की नगरी मथुरा (Mathura) में एक धार्मिक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बचपन से ही इन्होंने भगवान की भक्ति में लीन रहना शुरू कर दिया था। 4 साल की उम्र में ही इन्होंने भगवान की आरती करना शुरू कर दिया और घंटों भगवान के सामने बैठ कर पूजा करती थीं। देवी कृष्णप्रिया जी (Devi Krishna Priya Ji) को बचपन से ही भारत के सभी महाकाव्यों का ज्ञान था। इनके दादा जी एक पुजारी थे जिन्होंने इन्हें भगवत कथा, रामायण, महाभारत आदि के बारे में विस्तार से बताया। मात्र 10 वर्ष की आयु में इन्होंने कथा वाचन शुरू कर दिया और इनके गहन ज्ञान को देखते हुए ये अपने क्षेत्र में सबसे लोकप्रिय हो गईं। आज ये पूरे भारत और विदेशों में भी एक प्रसिद्ध धार्मिक वक्ता और प्रेरणादायक व्यक्तित्व के रूप में जानी जाती हैं। देवी कृष्णप्रिया (Devi Krishna Priya Ji) जी ने न सिर्फ धार्मिक क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाई है बल्कि समाज सेवा के क्षेत्र में भी सराहनीय कार्य किया है। इन्होंने 380 से अधिक महा ज्ञान यज्ञों का आयोजन किया है। साथ ही गरीब परिवारों की कन्याओं की शादी कराने, गौशालाओं के निर्माण, मुफ्त भोजन और पानी की व्यवस्था जैसे कई जनकल्याणकारी कार्य भी किए हैं। इनका जीवन और कार्य लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है। देवी कृष्ण प्रिया जी (Devi Krishna Priya Ji) से संबंधित इस विशेष लेकर जरिए हम आपको देवी श्री कृष्ण प्रिया जी (Devi Krishna Priya Ji) के जीवन से संबंधित संपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे इसीलिए हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़िएगा। देवी कृष्ण प्रिया जी कौन हैं? देवी कृष्णप्रिया जी (Devi Krishna Priya Ji), एक प्रसिद्ध कथावाचक, का जन्म 26 जनवरी 1997 को भारत के मथुरा नगरी में हुआ था। वह एक धार्मिक ब्राह्मण परिवार की बेटी हैं और उन्होंने अपने जीवन की शुरुआत से ही धार्मिक माहौल में बिताई। चार साल की उम्र से ही उन्होंने भगवान की आरती करना शुरू कर दिया था। उन्होंने अपनी शिक्षा के साथ-साथ धार्मिक कार्यक्रमों में भी समर्पित रहकर अपने ज्ञान को बढ़ाया। दस वर्ष की उम्र में ही उन्होंने कथावाचन की शुरुआत कर दी थी। उन्होंने अपने ज्ञान के आधार पर अखंड रामायण का संपन्न किया। उनके धार्मिक ज्ञान और समर्पण के कारण उन्हें बिहार के भागलपुर जिले में एक प्रसिद्ध कथावाचक के रूप में जाना जाता है। उनका मानना है कि कथा मानव को भगवान के करीब लाती है। उन्होंने अपने सुनने वालों को यह बताया कि धैर्य दुःख को दूर करने में मदद करता है। देवी कृष्ण प्रिया जी का जीवन परिचय देवी कृष्णप्रिया जी (Devi Krishna Priya Ji) एक प्रसिद्ध महिला कथा वाचक हैं जो मात्र 27 वर्ष की आयु में ही अपनी कथाओं और प्रवचनों से लाखों लोगों के दिलों में स्थान बना चुकी हैं। उनका जन्म 26 जनवरी 1997 को उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मथुरा (Mathura) नगरी में एक धार्मिक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बचपन से ही उन्हें भगवान की पूजा और धार्मिक कार्यों में विशेष रुचि थी। मात्र 4 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने भगवान की आरती करना शुरू कर दिया था। देवी कृष्णप्रिया जी (Devi Krishna Priya Ji) ने 10 वर्ष की उम्र से ही कथा वाचन करना शुरू कर दिया था और 19 वर्ष की आयु तक उत्तर प्रदेश में काफी लोकप्रिय हो गईं। उन्होंने अब तक 350 से अधिक महायज्ञों का आयोजन किया है और उनकी कथाएं अपनी मधुरता के लिए जानी जाती हैं। देवी कृष्णप्रिया जी (Devi Krishna Priya Ji) का मानना है कि कथा भगवान से मानव को करीब लाती है। उनके अनुसार, “कथा सुनने से मन में शांति आती है। कथा सुनकर मन को एक अलग ही आनंद मिलता है। कथा सुनने से मन में सद्विचार आते हैं और बुराइयों से दूर रहने की प्रेरणा मिलती है।” देवी कृष्णप्रिया जी (Devi Krishna Priya Ji) पूरे भारत में विभिन्न स्थानों पर कथा वाचन और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों का संचालन करती हैं जो कई टेलीविजन चैनलों पर भी प्रसारित किए जाते हैं।उन्होंने अपने जीवन से जुड़े कई महत्वपूर्ण तथ्यों को साझा किया है, जैसे कि उनका संपर्क विवरण और कुछ अनसुने तथ्य। देवी कृष्णप्रिया जी (Devi Krishna Priya Ji) एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व हैं जिन्होंने कम उम्र में ही अपनी प्रतिभा और लगन से लाखों लोगों के दिलों में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। उनकी मधुर वाणी और गहन धार्मिक ज्ञान लोगों को आकर्षित करता है और उन्हें एक बेहतर इंसान बनने की प्रेरणा देता है। निस्संदेह, वे भारत की सबसे लोकप्रिय युवा महिला कथा वाचकों में से एक हैं। देवी कृष्ण प्रिया जी की शिक्षा देवी कृष्णप्रिया जी (Devi Krishna Priya Ji) ने शुरू से ही शिक्षा पर अधिक ध्यान दिया है। उन्होंने अपने स्कूली दिनों में हर क्षेत्र में अव्वल रहकर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। हालांकि, उनका झुकाव हमेशा से ही आध्यात्मिक विषयों की ओर अधिक रहा है। बचपन से ही वे भगवान की पूजा और धार्मिक कार्यक्रमों में ज्यादा रुचि लेती थीं। स्कूल में एडमिशन के बाद भी उन्होंने शिक्षा से ज्यादा धार्मिक कार्यक्रमों पर ध्यान दिया। महज़ 4 साल की उम्र में ही उन्होंने भगवान की आरती करना शुरू कर दिया था। 7 साल की उम्र में उन्होंने दीक्षा प्राप्त कर ली थी। 10 वर्ष की आयु में उन्होंने अखंड रामायण का पाठ संपन्न किया। उनके असाधारण ज्ञान को देखते हुए लोगों का ध्यान उनकी ओर आकर्षित होने लगा और वे एक युवा कथावाचक के रूप में उभरीं। इसके साथ ही उन्होंने अपनी शैक्षणिक योग्यता को भी बढ़ाया और हर क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। आज वे विदेशों में भी भारतीय संस्कृति और कथा-वाचन के माध्यम से अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं। देवी कृष्णप्रिया जी (Devi Krishna Priya Ji) ने शिक्षा और आध्यात्म, दोनों क्षेत्रों में संतुलन बनाते हुए अपार सफलता हासिल की है। उनका जीवन युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरणास्रोत है।

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