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उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में जन्मीं पूज्या स्तुति जी ने मात्र 8 वर्ष की बाल्यावस्था से ही श्रीराम कथा प्रारंभ की, समय के साथ-साथ पूरे भारत देश में स्तुति जी द्वारा श्रीमद भागवत कथा एवं श्रीराम कथा का प्रचार-प्रसार शुरू कर दिया गया |
देवी जी को सुनने के लिए देश के विभिन्न राज्यों में लोगो का ताता लगा रहता है |
स्तुति जी एक प्रमुख कथा वाचक और अद्भुत स्वर गामी है। इन्होने सिर्फ 8 वर्ष की आयु में प्रथम बार श्री राम कथा का वाचन Bagpat Uttar pradesh किया।
जोकि अब कथा की धारा विश्वभर में व्याप्त होते हुए लगभग 700 से अधिक हो चुकी है। वह बचपन से ही
श्रीमद् भागवत और राम चरित्र मानस कथा का चिंतन करती थी। उनके पास प्राचीन ग्रंथो, महाकाव्य और दर्शन के उत्कृष्ट ज्ञान की गहरी समझ है।
वह बचपन से ही
श्रीमद् भगवद् और राम चरित्र मानस के रूप में उनके पास प्राचीन महाकाव्य और दर्शन की उत्कृष्ट कमान और गहरी समझ रखती
है ।
लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्।
कारूण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये।।
माता रामो मत्पिता रामचन्द्रः ।
स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्रः ॥
सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालु ।
नान्यं जाने नैव जाने न जाने ॥
दीदी जी का जन्म
28
OCT 1993 को उत्तर प्रदेश के कानपुर सिटीमें
श्री गोविंद माधव तिवारी और स्वर्गयी. श्री मति रीता तिवारी के घर में हुआ था। उनके दोनों माता-पिता ब्राह्मण थे।
माध्यमिक शिक्षा परिषद्, उत्तर प्रदेश से अपनी स्कूलिंग की , & संस्कृत में स्नातक की डिग्री ली. आध्यात्मिक उन्नति को आगे बढ़ाने के लिए पूर्ण चुप्पी की आवश्यकता थी.
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